some solids diffuse in liquids but not is gases some solids diffuse in gases but not in liquid why analysis
Answers
✔️ Answer ✔️
Some solids diffuse in liquids but not is gases some solids diffuse in gases but not in liquid why?
“Solid diffuse in liquid” is more commonly known as solid (solute) dissolving in a liquid(solvent) forming a solution. It depends on the chemical properties of solute/solvent pair, whether they are going to form a solution together or not. A rule of thumb is “Like dissolves in Like”, ionic and bipolar solutes like to dissolve in ionic or polar solvents (what. Common table salt dissolves in water).
On the other hand some solids transition from solid to gas without forming liquid. This process is called sublimation. For example naphthalene, camphor etc sublime in thin air. To understand this phenomenon, we need to know about vapor pressure. All liquid substances remain surrounded by the gaseous form of its own molecules at any temperature. The pressure exerted by just these molecules is called vapor pressure. At temperatures, below the boiling point of the liquid phase of most substances, vapor pressure is below the incumbent atmospheric pressure. With the addition of heat, more and more molecules go into gaseous form and the vapor pressure builds up. When the vapor pressure equals the incumbent atmospheric pressure, the liquid starts to boil and form gaseous phase. That temperature is called the boiling point of the substance. Not only liquids, solids can have vapor pressure as well, and when the vapor pressure of this solid substance exceeds the incumbent atmospheric pressure it simply vaporizes without forming a liquid. The solid doesn’t melt because its just not hot enough to melt before it vaporizes without forming a liquid.
#KEEPLEARNING
HOPE I AM CLEAR.
WARM REGARDS.
(≧▽≦)
Explanation:
एक समय एक न्यायी तथा नम्र राजा था जो एक देश पर राज्य करता था। राजा ने सार्वजनिक घोषणा की कि मुख्य राजमार्ग के आरपार विजय की घोषणा सहित एक वृत्तखण्ड (मेहराब) बनाई जाए जो दर्शकों को अध्यात्मिक रूप से सुधार सके।
राजा के आदेशों को मानते हुए श्रमिक वहाँ गए तथा उन्होंने मेहराब बना दी। लोगों को सुधारने के लिए राजा घोड़े पर सवार होकर वहाँ पहुँचा। क्योंकि यह मेहराब बहुत नीची बनाई गई थी, राजा अपना मुकुट मेहराब के नीचे गैंवा बैठा। राजा की भृकुटियाँ क्रोध में तन गईं। उसने इसे अपमानजनक कहा तथा घोषणा की कि मुख्य श्रमिक को सूली पर लटका दिया जाए।
रस्सी तथा सूली का प्रबन्ध किया गया तथा श्रमिकों के मुखिया को वहाँ ले जाया गया। राजा के समीप से गुज़रते हुए वह चिल्लाया “राजन! यह तो श्रमिकों का दोष था।” राजा ने कार्रवाही रोक दी तथा आदेश दिया कि उसकी बजाय सभी श्रमिकों को फासी दी जाए। श्रमिक आश्चर्यचकित दिखाई दिए तथा उन्होंने राजा से कहा कि उसने यह महसूस नहीं किया था कि ईंटें गलत आकार की बनी हुई थीं।
राजा ने आदेश दिया कि राज मिस्त्रियों को वहाँ बुलाया जाए। राज मिस्त्री वहाँ लाए गए। वे भय से काँपते हुए वहाँ खड़े रहे। अब उन्होंने शिल्पी पर दोष लगाया। शिल्पकार को बुलाया गया। राजा ने आदेश दिया कि शिल्पी को फैासी देनी थी। शिल्पकार ने राजा को याद दिलाया कि जब उसने योजना राजा को दिखाई थी तो उसने उन में कुछ सुधार किए थे। यह सुनकर राजा आग-बबूला हो गया तथा शान्तिपूर्वक काम करने में असमर्थ हो गया।
न्यायी एवं नम्र राजा होने के कारण उसने कहा कि यह एक कठिन कार्य था तथा उसे कुछ परामर्श की आवश्यकता थी। उसने आदेश दिया कि देश का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति वहाँ लाया जाए। सबसे बुद्धिमान व्यक्ति को ढूंढा गया तथा वहाँ लाया गया। वह इतना बूढ़ा था कि वह न तो चल सकता था और न ही देख सकता था। अतः उसे उठाकर वहाँ ले जाया गया। उसने काँपती आवाज़ में कहा कि दोषी को अवश्य दण्ड मिलना चाहिए। मेहराब ने राजा के मुकुट को गिराया था, अतः इसे फासी पर लटका देना चाहिए। मेहराब को फासी के चबूतरे पर ले जाया गया। फिर एक परामर्शदाता ने कहा कि वे ऐसी किसी वस्तु को कैसे फाँसी दे सकते थे जिसने राजा के सिर को स्पर्श किया हो।।
राजा ने सावधानीपूर्वक विचार किया तथा कहा कि यह सत्य था। किन्तु अब तक भीड़ उत्तेजित हो गई तथा ज़ोर-ज़ोर से बड़बड़ा रही थी। उसने वहाँ उपस्थित लोगों से अपराध जैसे सूक्ष्म बिन्दुओं पर विचार करने को स्थगित करने को कहा। क्योंकि राष्ट्र चाहता था कि फाँसी लगे, अतः किसी को फाँसी देनी थी और वह भी तत्काल। | फाँसी का फन्दा कुछ ऊँचा स्थापित किया गया। प्रत्येक व्यक्ति को बारी-बारी से मापा गया। केवल एक ही व्यक्ति इतना ऊँचा था कि वह इसमें सही समा सके। वह व्यक्ति राजा था। अतः राजसी आदेश के अनुसार उसे फाँसी लगा दी गई। मन्त्रिगण प्रसन्न थे कि उन्होंने फाँसी लगाने के लिए किसी व्यक्ति को ढूंढ लिया था वरना अनियन्त्रित नगरवासियों ने राजा के विरूद्ध विद्रोह कर दिया होता। वे चिल्लाए ‘राजा दीर्घजीवी हों।
क्योंकि राजा की मृत्यु हो गई थी, व्यावहारिक बुद्धिवाले मन्त्रियों ने पूर्ववर्ती राजा के नाम से घोषणा कराने को दूत भेजे कि नगर द्वार से गुजरनेवाला अगला व्यक्ति उनके देश के राजा को चुनेगा। यह उनकी प्रथा थी तथा इसका उचित सम्मान सहित पालन किया जायेगा। एक बुधू (मूर्ख) नगरे द्वार से गुज़रा। रक्षकों ने उसे यह निर्णय करने को कहा कि राजा कौन होगा। बुद्धू ने उत्तर दिया कि ‘खरबूजा’ क्योंकि सभी प्रश्नों का उसका यही एक मात्र नपा-तुला उत्तर था।
मन्त्रियों ने खरबूजे को राजा के रूप में मुकुट पहनाया। फिर वे खरबूजे को राजगद्दी तक ले गए तथा उचित आदर सहित इसे वहाँ विराजमान कर दिया। जब यह पूछा जाता कि उनका राजा खरबूजा कैसे बना, तो लोग उत्तर देते कि यह तो प्रथा के कारण था। यदि राजा को खरबूजा बनने में प्रसन्नता होती हो, तो उनके लिए यह सही (ठीक) था। वे उसके किसी भी आकार धारण करने से आपत्ति नहीं करेंगे जब कि वह उन्हें शान्ति तथा स्वतन्त्रता में रहने दे तथा उनके मुक्त व्यापार में राजकीय हस्तक्षेप न करे।