sone ka hiran from bal ram katha story in 100 words...
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सोने का हिरण
सोने का हिरण का सारांश में सोने के हिरण के रूप में मारीच बन वन में घूमता है | रावण का लक्ष्य सीता जी को हरण करना था | मारीच हिरन बन कर रव्नकी मदद कर रहा था |
मारीच हिरन के रूप में इतना सुन्दर बना था , सीता जी का मन उस हिरण में आ गया और सीता जी कहती मुझे यह हिरण चाहिए | राम को कुटी से निकलते देखकर मायावी हिरण कुलाचें भरने लगा। राम को बहुत छकाया। झाडि़यों में लुकता-छिपता-भागता वह राम को कुटी से बहुत दूर ले गया। राम जब भी उसे पकड़ने का प्रयास करते, वह भागकर और दूर चला जाता। हिरण चालाक था। वह इतनी दूर कभी नहीं जाता था कि पहुँच से बाहर लगे। राम के सारे प्रयास विफल हुए। वे हिरण को पकड़ नहीं पाए। उन्होंने उसे जीवित पकड़ने का विचार त्याग दिया। धनुष उठाया। निशाना साध। और एक बाण उस पर छोड़ दिया। बाण लगते ही हिरण गिर पड़ा। ध्रती पर गिरते ही मारीच अपने असली रूप में आ गया। मारीच के पकड़ में ना आने पर उस बाण मारा जिससे वह मर गया |
मारीच उसे अधिक देर तक सहन नहीं कर पाया। वह छटपटाता रहा। जल्दी ही उसके प्राण-पखेरू उड़ गए। मायावी मारीच की पूरी चाल उनके सामने खुल गई। हिरण जानबूझकर भागता रहा। रावण ने नई योजना बनाई और साधु के रूप में सीता को लंका में ले जाने के लिए सफल हो गए |