soor shyaam padya ka bhavarth apne shabdo me likhiye
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i dont know hindi
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i also don't know and understand hindi so pls explain in english if you can
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सूर के पद Surdas ke Pad
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5 Hindikunj 2017-09-04
surdas ke pad in hindi सूर के पद .surdas के दोहे with meaning सूरसागर के पद मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो सूरदास सूरदास का दोहा बाल लीला कविता मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो का अर्थ सूरदास के भजन सूरसागर सार
जामुन का पेड़
बड़े घर की बेटी
अपना अपना भाग्य
बात अठन्नी की ( Baat Athani Ki)
महायज्ञ का पुरस्कार
विषय-तालिका
सूर के पद Surdas ke Pad
सूर के पद का केन्द्रीय भाव / मूल भाव
प्रश्न उत्तर
सूर के पद Surdas ke Pad
१. जसोदा हरि पालनैं झुलावै।
हलरावै, दुलराइ मल्हावै, जोइ-जोइ कछु गावै॥
मेरे लाल कौं आउ निंदरिया, काहैं न आनि सुवावै।
तू काहैं नहिं बेगहिं आवै, तोकौं कान्ह बुलावै॥
कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि, करि-करि सैन बतावै॥
इहिं अंतर अकुलाइ उठे हरि, जसुमति मधुरैं गावै।
जो सुख सूर अमर-मुनि दुरलभ, सो नँद-भामिनि पावै॥
व्याख्या - प्रस्तुतपद में महाकवि सूरदास जी ने कृष्ण की बाल लीला का वर्णन किया है। श्री कृष्ण को पालने में रख कर वे कभी पालने को हिलाती हैं , कभी पालने में पड़ें श्रीकृष्ण को प्यार करती हैं तो कभी उन्हें लोरियाँ सुनाती हैं,ताकि बालक को नींद आ जाए। माँ यशोदा नींद को उलाहना देते हुए कहती हैं कि, हे निंदिया , मेरे लाल को आकर क्यों नहीं सुलाती हो ? तुम क्यों नहीं जल्दी आती हो , मेरा कान्हा तुम्हें कब से बुला रहा है। कभी कान्हा अपनी पलकें बंद कर लेते हैं, कभी कुछ बुदबुदाते हैं। यशोदा मैया उन्हें सोता जानकर , वहाँ उपस्थित सभी को इशारे से चुप रहने को कहती है। इसी बीच कॄष्ण बेचैन होकर उठ जाते हैं और यशोदा मैया पुनः उन्हें मधुर गीत गाकर सुलाती हैं। सूरदास जी कहते हैं कि कृष्ण की इस बाल लीला का सुख, जो देवताओं और सिद्ध मुनियों को भी दुर्लभ होता है, नंद की पत्नी को यह सुख अनायास ही प्राप्त हो रहा था।