Sortha aur rola ke simple udharan
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सोरठा
सोरठा मात्रिक छंद है। यह दोहा का उल्टा होता
है। इसके विषम चरणों में 11 - 11 मात्राएँ और सम चरणों में 13 - 13 मात्राएँ होती
हैं। विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्र जरुर होनी चाहिए।
उदाहरण
जो सुमिरत सिधि होय, गननायक करिबर बदन।
करहु अनुग्रह सोय, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन।।
दोहा
दोहा मात्रिक छंद है। इसके चार चरण होते हैं।
इसके विषम चरणों में 13 - 13 मात्राएँ और सम चरणों में 11 - 11 मात्राएँ होती हैं।
सम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्र जरुर होती है।
उदाहरण
मुरली वाले मोहना, मुरली नेक बजाय।
तेरी मुरली मन हरो, घर अँगना न सुहाय।।
रोला
रोला मात्रिक सम छंद है। इसके विषम चरणों में
11 - 11 मात्राएँ होती हैं और सम चरणों में 13 - 13 मात्राएँ होती हैं। इस प्रकार
इसमें कुल 24 मात्राएँ होती हैं। ग्यारहवीं एवं तेरवहीं मात्राओं पर विराम होता
है। इसमें अंत में दो 'गुरु' जरुर होते हैं।
उदाहरण
यही सयानो काम, राम को सुमिरन कीजै।
पर-स्वारथ के काज, शीश आगे धर दीजै।।