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परिचय
लड़कियाँ वर्षों से भारत में कई तरह के अपराधों से पीड़ित है। सबसे भयानक अपराध कन्या भ्रूण हत्या है जिसमें अल्ट्रासाउंड के माध्यम से लिंग परीक्षण के बाद लड़कियों को माँ के गर्भ में ही मार दिया जाता है। बेटी बचाओ अभियान सरकार द्वारा स्त्री भ्रूण के लिंग-चयनात्मक गर्भपात के साथ ही बालिकाओं के खिलाफ अन्य अपराधों को समाप्त करने के लिए शुरु किया गया है।
कन्या भ्रूण हत्या का कन्या शिशु अनुपात-कमी पर प्रभाव
कन्या भ्रूण हत्या अस्पतालों (हॉस्पिटल्स) में चयनात्मक लिंग परीक्षण के बाद गर्भपात के माध्यम से किया जाना वाला बहुत भयानक कार्य है। ये भारत में लोगों की लड़कों में लड़कियों से अधिक चाह होने के कारण विकसित हुआ है। इसने काफी हद तक भारत में कन्या शिशु लिंग अनुपात में कमी की है। ये देश में अल्ट्रासाउंड तकनीकी के कारण ही सम्भव हो पाया है। इसने समाज में लिंग भेदभाव और लड़कियों के लिये असमानता के कारण बड़े दानव (राक्षस) का रुप ले लिया है। महिला लिंग अनुपात में भारी कमी 1991 की राष्ट्रीय जनगणना के बाद देखी गयी थी। इसके बाद ये 2001 की राष्ट्रीय जनगणना के बाद समाज की एक बिगड़ती समस्या के रूप में घोषित की गयी थी। हालांकि, महिला आबादी में कमी 2011 तक भी जारी रही। बाद में, कन्या शिशु के अनुपात को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा इस प्रथा पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया गया था। 2001 में मध्य प्रदेश में ये अनुपात 932 लड़कियाँ/1000 लड़कें था हालांकि 2011 में 912/1000 तक कम हो गया। इसका मतलब है, ये अभी भी जारी है और 2021 तक इसे 900/1000 कम किया जा सकता है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जागरुकता अभियान की भूमिका
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ एक योजना है जिसका अर्थ है कन्या शिशु को बचाओं और इन्हें शिक्षित करों। ये योजना भारतीय सरकार द्वारा 22 जनवरी 2015 को कन्या शिशु के लिये जागरुकता का निर्माण करने के साथ साथ महिला कल्याण में सुधार करने के लिये शुरु की गयी थी। ये अभियान कुछ गतिविधियों जैसे: बड़ी रैलियों, दीवार लेखन, टीवी विज्ञापनों, होर्डिंग, लघु एनिमेशन, वीडियो फिल्मों, निबंध लेखन, वाद-विवाद, आदि, को आयोजित करने के द्वारा समाज के अधिक लोगों को जागरुक करने के लिये शुरु किया गया था। ये अभियान भारत में बहुत से सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के द्वारा समर्थित है। ये योजना पूरे देश में कन्या शिशु बचाओ के सन्दर्भ में जागरुकता फैलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका को निभाने के साथ ही भारतीय समाज में लड़कियों के स्तर में सुधार करेगी।
निष्कर्ष
भारत के सभी और प्रत्येक नागरिक को कन्या शिशु बचाओ के साथ-साथ इनका समाज में स्तर सुधारने के लिए सभी नियमों और कानूनों का अनुसरण करना चाहिये। लड़कियों को उनके माता-पिता द्वारा लड़कों के समान समझा जाना चाहिये और उन्हें सभी कार्यक्षेत्रों में समान अवसर प्रदान करने चाहिये
yeh beti bachao par hain
लड़कियाँ वर्षों से भारत में कई तरह के अपराधों से पीड़ित है। सबसे भयानक अपराध कन्या भ्रूण हत्या है जिसमें अल्ट्रासाउंड के माध्यम से लिंग परीक्षण के बाद लड़कियों को माँ के गर्भ में ही मार दिया जाता है। बेटी बचाओ अभियान सरकार द्वारा स्त्री भ्रूण के लिंग-चयनात्मक गर्भपात के साथ ही बालिकाओं के खिलाफ अन्य अपराधों को समाप्त करने के लिए शुरु किया गया है।
कन्या भ्रूण हत्या का कन्या शिशु अनुपात-कमी पर प्रभाव
कन्या भ्रूण हत्या अस्पतालों (हॉस्पिटल्स) में चयनात्मक लिंग परीक्षण के बाद गर्भपात के माध्यम से किया जाना वाला बहुत भयानक कार्य है। ये भारत में लोगों की लड़कों में लड़कियों से अधिक चाह होने के कारण विकसित हुआ है। इसने काफी हद तक भारत में कन्या शिशु लिंग अनुपात में कमी की है। ये देश में अल्ट्रासाउंड तकनीकी के कारण ही सम्भव हो पाया है। इसने समाज में लिंग भेदभाव और लड़कियों के लिये असमानता के कारण बड़े दानव (राक्षस) का रुप ले लिया है। महिला लिंग अनुपात में भारी कमी 1991 की राष्ट्रीय जनगणना के बाद देखी गयी थी। इसके बाद ये 2001 की राष्ट्रीय जनगणना के बाद समाज की एक बिगड़ती समस्या के रूप में घोषित की गयी थी। हालांकि, महिला आबादी में कमी 2011 तक भी जारी रही। बाद में, कन्या शिशु के अनुपात को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा इस प्रथा पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया गया था। 2001 में मध्य प्रदेश में ये अनुपात 932 लड़कियाँ/1000 लड़कें था हालांकि 2011 में 912/1000 तक कम हो गया। इसका मतलब है, ये अभी भी जारी है और 2021 तक इसे 900/1000 कम किया जा सकता है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जागरुकता अभियान की भूमिका
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ एक योजना है जिसका अर्थ है कन्या शिशु को बचाओं और इन्हें शिक्षित करों। ये योजना भारतीय सरकार द्वारा 22 जनवरी 2015 को कन्या शिशु के लिये जागरुकता का निर्माण करने के साथ साथ महिला कल्याण में सुधार करने के लिये शुरु की गयी थी। ये अभियान कुछ गतिविधियों जैसे: बड़ी रैलियों, दीवार लेखन, टीवी विज्ञापनों, होर्डिंग, लघु एनिमेशन, वीडियो फिल्मों, निबंध लेखन, वाद-विवाद, आदि, को आयोजित करने के द्वारा समाज के अधिक लोगों को जागरुक करने के लिये शुरु किया गया था। ये अभियान भारत में बहुत से सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के द्वारा समर्थित है। ये योजना पूरे देश में कन्या शिशु बचाओ के सन्दर्भ में जागरुकता फैलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका को निभाने के साथ ही भारतीय समाज में लड़कियों के स्तर में सुधार करेगी।
निष्कर्ष
भारत के सभी और प्रत्येक नागरिक को कन्या शिशु बचाओ के साथ-साथ इनका समाज में स्तर सुधारने के लिए सभी नियमों और कानूनों का अनुसरण करना चाहिये। लड़कियों को उनके माता-पिता द्वारा लड़कों के समान समझा जाना चाहिये और उन्हें सभी कार्यक्षेत्रों में समान अवसर प्रदान करने चाहिये
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