Hindi, asked by bharat7327, 11 months ago

speech in hindi on corruption

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Answered by Anonymous
8

hey mate

ur answer is

yaha upasit sikshako ko mera sadar paranam mere priya sathiyo ko namashkar

me ............... khasha .......... yaha aaj aap sabke samey ek bhut hi mahatwapuran vishay jo ki bhrastachar hai jo aaj zehar ki tarah ho gya hai aaj wah har yakitiko kholakar rha hai uss uske adrsho ko lekar aaj brastachar ki wajah se humra deskh or yaha ke yakhitiyo ke mulayo ko nast krhe hai aaj bhrastachar krne wale ke sath sath usme unka sath dene waala bi galat hota hai aaj hum aapna kaam jladi karwane ke liye kuch thode rupeye dekar karwaete hai or aaj yahi soch ek yakite ki nahi sab ki hai aaj ese wajah se humre bhrast desho ki suji me upper aata jaraha hai esse humre desh ki chaye karab horhi hai aaj hum madyam varigya logo ke liye jeena mushkil hogya hai hume chota se chota kam karwane ke liye rishwat dene padhti hai aaj sahi samney hai aaj hum logo ko ek sath khade ho kar bhrastachar ko khatam karne ke liye upay karne chaye aaj humme se kuch log bhrsatachar ko na khaege to kal unhe dekh kr or koi na khayega esehi hi hume bhrstachar ko zhad se khatam karne ka upay milega aj hum kuch kaam ko thodi der se karwayege esa to hai nahi ki rishwant na dene pr wo kabi nhi karega wo karega jarur pr hume thoda paresan krke thoda wqt lagega agar hume se koi na rishwwat dega to sara system sare karayprandali sahi hogi or bhrastachar khatam hoga hum aapne choto ke liye ess desh ko bharastachar mukat baneyge or phie se ese hum purane rah pr chalyege jha na jatiwad ho nahi bhrastachar jha sab ek hindustani ho hum fir ese esa desh banyege  

dhanywad me aapni baat उड़ने दो मिट्टियों को आखिर कहाँ तक उडेंगी,

                         हवाओं ने जब साथ छोड़ा तो जमीन पर ही गिरेंगी.

jab hum unhe rishwant hi na dege to wo aapne aap rishwat khori or bhrstachar kam hoga

jai hind

jai bharat

Answered by arohi89
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आज की स्पीच का विषय भ्रष्टाचार है और मैं उसी पर अपने विचारों को साझा करूँगा विशेष रूप से राजनीतिक भ्रष्टाचार पर। हमारे देश के गठन के बाद से सब कुछ राजनीतिक नेताओं और सरकारी क्षेत्रों में शासन करने वालों द्वारा तय होता है। जाहिर है हम एक लोकतांत्रिक देश हैं लेकिन जो भी सत्ता में आ जाता है वह उस शक्ति का दुरुपयोग करके अपने निजी लाभ के लिए धन और संपत्ति हासिल करने की कोशिश करता है। आम लोग खुद को हमेशा अभाव की स्थिति में पाते हैं।

हमारे देश में अमीर और गरीब के बीच का अंतर इतना बढ़ गया है कि यह हमारे देश में भ्रष्टाचार का एक स्पष्ट उदाहरण है जहां समाज के एक वर्ग के पास समृद्धि और धन है और वहीँ दूसरी तरफ अधिकांश जनता गरीबी रेखा से नीचे रहती है। यही कारण है कि कुछ देशों की अर्थव्यवस्था को गिरावट का सामना करना पड़ रहा है जैसे अमरीका की अर्थव्यवस्था।

यदि हम अपने देश के जिम्मेदार नागरिक हैं तो हमें यह समझना चाहिए कि यह भ्रष्टाचार हमारे राष्ट्र के आर्थिक विकास में खाई है और हमारे समाज में अपराध को जन्म दे रहा है। यदि हमारे समाज का बहुसंख्यक वर्ग अभाव और गरीबी में रहना जारी रखेगा और किसी भी रोजगार का अवसर नहीं मिलेगा तो अपराध दर कभी कम नहीं होगी। गरीबी लोगों की नैतिकता और मूल्यों को नष्ट कर देगी जिससे लोगों के बीच नफरत में वृद्धि होगी। हमारे इस मुद्दे को हल करने और हमारे देश के संपूर्ण विकास के लिए मार्ग प्रशस्त करने हेतु संघर्ष करने का यह सही समय है।

इस तथ्य की परवाह किए बिना कि असामाजिक तत्व हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था के भीतर हैं या बाहर हैं संसद को इनके खिलाफ सख्त कानूनों को पारित करना चाहिए। हमारे देश में सभी के लिए एक समान व्यवहार होना चाहिए।

यदि कोई भ्रष्टाचार के पीछे कारणों का विचार और मूल्यांकन करता है तो यह अनगिनत हो सकते हैं। हालांकि भ्रष्टाचार के रोग फैलने के लिए जिम्मेदार कारणों में मेरा मानना ​​है कि सरकार के नियमों और कानूनों के प्रति लोगों का गैर-गंभीर रुख तथा समाज में बुराई फ़ैलाने वालों के प्रति सरकार का सहारा है। ऐसा प्रतीत होता है कि जिन लोगों को भ्रष्टाचार का अंत करने के लिए नियोजित किया जाता है वे स्वयं अपराधी बन जाते हैं और इसे प्रोत्साहित करते हैं। हालांकि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कई सख्त कानून हैं जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम, भारतीय दंड संहिता 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 आदि लेकिन इन कानूनों का कोई गंभीर क्रियान्वयन नहीं है।इसके अलावा ऐसे लोगों का मानना ​​है कि वे आसानी से कानूनों से बच सकते हैं और सुरक्षित रह सकते हैं। अधिक अधिकार और शक्तियों की वजह से अधिकारी भ्रष्ट हो गए हैं और स्थिति इतनी खराब हो गई है कि अगर किसी आम आदमी को सरकारी कर्मचारी या प्रशासन से काम करवाने की ज़रूरत होती है तो उसे भ्रष्ट विधि को अपनाना होगा। वास्तव में आपको प्रशासन में वरिष्ठ पदों और जूनियर स्टाफ से लेकर लिपिक पदों पर भ्रष्ट आदमी काम करते मिल पाएंगे। एक आम आदमी के लिए यह वास्तव में मुश्किल है कि वह उनसे बचे या अपना काम पूरा करे।

न केवल शहर बल्कि छोटे क़स्बे और गांव भी इसके प्रभाव में आ गए हैं। मुझे लगता है कि यह सही समय है जब हम अपने देश के नागरिक के रूप में अपनी धरती मां के चेहरे से भ्रष्टाचार को खत्म करने और हमारे देश की अगली पीढ़ी के लिए एक भ्रष्ट मुक्त देश बनाने तथा इस पर गर्व महसूस करने की जिम्मेदारी ले।

जाहिर है हमारे विद्यार्थी ही इस देश का भविष्य हैं। इसलिए आपको किसी भी स्थिति में किसी भ्रष्ट पथ को अपनाने की प्रतिज्ञा नहीं करनी चाहिए और वास्तव में आप किसी भी गैरकानूनी या अवैध गतिविधि के खिलाफ अपनी आवाज उठाए। जब हम जान-बूझ आँख बंद कर लेते हैं तो समस्याएं बढ़ जाती हैं परन्तु मैं आशा करता हूं कि हम सभी हमारे देश में कहीं भी होने वाली भ्रष्ट गतिविधियों का कड़ा विरोध करेंगे और ऐसे अधिकारियों का पर्दाफाश करेंगे जो हमारे विकास के क्षेत्र में रुकावट डालने का काम करते हैं।

धन्यवाद।



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