English, asked by arathim1913, 1 month ago

speech on “Azadi ka Amrit Mahotsav" in English​

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Answered by agreddyraj0
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Answer:

AZADI KA AMRUT MAHOTSAV

Explanation:

The ‘Azadi ka Amrut Mahotsav’ will be celebrated on August 15, 2021 as India will complete 75 years of Independence. A national implementation committee headed by Home Minister Amit Shah formed the policies and events that need to be organised.

Earlier this year, PM Modi had launched the ‘Azadi ka Amrut Mahotsav’ on March 12 to mark 91 years of Dandi March. He paid homage to Mahatma Gandhi and other freedom fighters who laid their lives for the freedom struggle. The curtain raiser activities began on March 12, which revolved around the 75th Independence of India. Activities included website, films, songs like ‘Aatmanirbhar Incubator’

After the opening ceremony, a padayatra was carried out by different groups of people from Sabarmati Ashram to Dandi, Navsari. The journey of 241 miles was completed in 25 days as the padayatra concluded on April 5. On June 27, during the 78th episode of his monthly radio programme Mann Ki Baat, Prime Minister urged citizens to extensively participate in the events of ‘Azadi ka Amrut Mahotsav’ which is being celebrated as a ‘people’s movement’ by the government of India.

Answered by shivanandmishra97
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Answer:

आज हर भारतीय के मन में उत्सव है क्योंकि हम “आजादी का अमृत महोत्सव” मना रहे हैं। इस आजादी के लिए हमने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे समाज में स्वतंत्रता पूर्वक जीने का अधिकार है। संसार में सभी प्राणी स्वतंत्र रहना चाहते हैं। यहां तक कि पिंजरे में बंद पक्षी भी स्वतंत्रता के लिए निरंतर अपने पंख फड़फड़ाता रहता है। उसे सोने का पिंजरा, सोने की कटोरी में रखा स्वादिष्ट भोजन भी अच्छा नहीं लगता। वह भी स्वतंत्र होकर मुक्त गगन में स्वच्छंद उड़ना चाहता है। मनुष्य को मनुष्य हैतो, उसे भी स्वतंत्रता प्रिय है। वह भी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करता हुआ प्राणों की बाजी लगा देता है। महाकवि तुलसीदास जी का कहना है कि “पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं” – इस उक्ति का अर्थ यह है कि पराधीन व्यक्ति कभी भी सुख को अनुभव नहीं कर सकता है। सुख पराधीन और परावलंबी लोगों के लिए नहीं बना है। पराधीन एक तरह का अभिशाप होता है। पराधीनता के लिए कुछ लोग भगवान को दोष देते हैं लेकिन ऐसा नहीं है वे स्वंय तो अक्षम होते हैं और भगवान को दोष देते रहते हैं भगवान केवल उन्हीं का साथ देता है जो अपनी मदद खुद कर सकते हैं। महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक जी ने कहा था “स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।”

स्वतंत्रता के लिए संघर्ष :

15 अगस्त 1947 से पहले लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेज सरकार हम पर शासन कर रही थी। इससे पूर्व 230 वर्षों तक मुगलो ने हम पर राज किया। लेकिन धीरे-धीरे भारत के लोगों में राजनीतिक चेतना

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