Hindi, asked by bhavishmakkar00, 1 year ago

speech on food adulteration in hindi

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Answered by Nishchay1234
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वर्तमान समय में धनार्जन की होड़ एवं नैतिकता का पतन इन दोनों कारणों से मिलावटी माल बनाने बेचने का कारोबार असीमित रूप से बढ़ा है. खाद्य पदार्थो में मिलावट के नये नये तरीके अपनाए जा रहे है. और इससे जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. यधपि मिलावट करना और ऐसे माल की आपूर्ति विक्रय करना क़ानूनी द्रष्टि से अपराध है. समाज की नैतिकता एवं मूल्यों का पतन है, फिर भी चोरी छिपे यह दूषित धंधा खूब चल रहा है

खाद्य पदार्थों में मिलावट का अर्थ (Food Adulteration)

यह अनैतिक और लोगों के स्वास्थ्य के साथ खेलने वाले हर देश में अपना कारोबार चला रहे है. मुख्य रूप से गरीब देशों में खाद्य पदार्थो में मिलावट का गोरखधन्धा बड़े स्तर पर चलता है. दूध में पानी, देशी घी में वनस्पति घी, सब्जी के मसालों में मिटटी तथा कूड़े करकट तथा लकड़ी के बुरादे के मिश्रण की मिलावट से उस वस्तु के गुणों के स्तर में कमी आती है, जिसका सीधा असर उसका सेवन करने वाले के स्वास्थ्य पर पड़ता है. अधिक मुनाफा कमाने के लालच में सभी के भोजन को विषाक्त करने वालों के खिलाफ कठोर से कठोर दंड का प्रावधान होना चाहिए.
खाद्य पदार्थो में मिलावट एक समस्या

आज के समय में खाद्य पदार्थो में मिलावट करना आम बात हो गई है. types of adulteration में घी, तेल, पनीर, दूध, मिलावट या नकली माल का धंधा जगह जगह चोरी छिपे चल रहा है. गेहू में पत्थर कंकड़ मिलाये जाते है. पीसी हुई मिर्च, हल्दी, धनिया तथा मसालों में खूब मिलावट की जाती है. चाय की पत्तियाँ बेसन, तरल पेय पदार्थ तथा डिब्बा बंद रसदार चीजो में कितनी मिलावट हो रही है, इसका पता नही चल रहा है.

बड़ी कम्पनियों के उत्पाद पानी की बोतलों में कितनी शुद्धता है. यह आए दिन देखने सुनने को मिल जाता है. मिठाइयों का सारा व्यापार मिलावट से अटा पड़ा है. उसमे शुद्दता की आशा करना अपने आप को धोखा देना है. पहले तो सुनार को मिलावट करने वाला माना जाता था. परन्तु अब तो नामी कम्पनियों की दवाई में भी मिलावट की शिकायत आ रही है. इस तरह की मिलावटखोरी का धंधा उतरोतर बढ़ रहा है. जो कि भारतीय समाज के लिए एक समस्या बन चूका है.

मिलावट रोकने के उपाय/ कानून (Remedies to prevent adulteration / law)

सरकार ने खाद्य पदार्थो तथा अन्य सभी चीजो में मिलावट करना सरकार द्वारा कानूनी अपराध घोषित कर रखा है. इस पर नियन्त्रण स्थापित करने के लिए प्रभावी व्यवस्था भी बनाई गई है. दवाई की शुद्धता की जांच के लिए दवा निरिक्षण से लेकर प्रयोगशाला की व्यवस्था की गई है. खाद्य पदार्थो में मिलावट को रोकने के लिए खाद्य निरिक्षण, स्वास्थ्य निरिक्षण तथा अन्य बड़े प्रशासनिक अधिकारियो को सभी अधिकार दे रखे है.

ये सभी अधिकारी कभी कभी तीज त्योहारों पर जांच पड़ताल करते है, छापे मारते है तथा अशुद्ध पदार्थो के नमूने लेकर प्रयोगशाला में भेजते है. अथवा न्यायालय में मुकदमा या चालान कर देते है. इसके लिए कोई कठोर कानून नही है, आजीवन कारावास जैसा कठोर दंड विधान नही है. सामान्यतया जुर्माना लिया जाता है या कुछ ले देकर मामला शांत हो जाता है. फलस्वरूप इस मिलावट कारोबार पर कठोरता से और पूरी तरह से नियन्त्रण नही हो रहा है. इसमे आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

खाद्य पदार्थो में मिलावट के दुष्प्रभाव (Effects Of Food Adulteration)

मिलावट खाद्य पदार्थो को प्रयोगशालाओं में जांचने परखने पर जो तथ्य सामने आये है, वे रोंगटे खड़े कर देने वाले है. नकली घी, पनीर व मावा में यूरिया सेम्पो आदि मिलाया जाता है. पेय पदार्थो में नालियों का पानी मिलाया जाता है. नकली शहद, पीछे हुए मसाले, मिर्च आदि में रंग देने के लिए हानिकारक केमिकल मिलाये जाते है.

फलों को पकाने के लिए रांगा, नौसादर जैसे खतरनाक पदार्थ मिलाये जाते है. खाद्य पदार्थो एवं मिठाइयों को चमकदार बनाने के लिए खतरनाक केमिकलों या रंगो का प्रयोग किया जाता है. इस तरह मिलावटी कारोबार से कैंसर, चर्मरोग, ह्रद्यरोग आदि अनेक घातक रोग फ़ैल रहे है. धन हानि भी हो रही है और नैतिक आदर्शो का पतन भी हो रहा है.

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