speech on india's republic day
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भारत की आजादी 15 अगस्त 1947 के बाद कई बार संशोधन करने के पश्चात भारतीय संविधान को अंतिम रूप दिया गया जो 3 वर्ष बाद यानी 26 नवंबर 1950 को आधिकारिक रूप से अपनाया गया। तब से 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस मनाते आ रहे हैं। इस बार हम 61वाँ गणतंत्र दिवस मनाएँगे।
गणतन्त्र (गण+तंत्र) का अर्थ है, जनता के द्वारा जनता के लिये शासन। इस व्यवस्था को हम सभी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। वैसे तो भारत में सभी पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं, परन्तु गणतंत्र दिवस को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते हैं। इस पर्व का महत्व इसलिये भी बढ जाता है क्योंकि इसे सभी जाति एवं वर्ग के लोग एक साथ मिलकर मनाते हैं।
26 जनवरी का पर्व देशभक्तों के त्याग, तपस्या और बलिदान की अमर कहानी समेटे हुए है। प्रत्येक भारतीय को अपने देश की आजादी प्यारी थी। भारत की भूमि पर पग-पग में उत्सर्ग और शौर्य का इतिहास अंकित है। किसी ने सच ही कहा है- “कण-कण में सोया शहीद, पत्थर-पत्थर इतिहास है।“ ऐसे ही अनेक देशभक्तों की शहादत का परिणाम है, हमारा गणतान्त्रिक देश भारत।
26 जनवरी का पावन पर्व आज भी हर दिल में राष्ट्रीय भावना की मशाल को प्रज्वलित कर रहा है। लहराता हुआ तिरंगा रोम-रोम में जोश का संचार कर रहा है, चहुँओर खुशियों की सौगात है। हम सब मिलकर उन सभी अमर बलिदानियों को अपनी भावांजली से नमन करें, वंदन करें।
गणतन्त्र (गण+तंत्र) का अर्थ है, जनता के द्वारा जनता के लिये शासन। इस व्यवस्था को हम सभी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। वैसे तो भारत में सभी पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं, परन्तु गणतंत्र दिवस को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते हैं। इस पर्व का महत्व इसलिये भी बढ जाता है क्योंकि इसे सभी जाति एवं वर्ग के लोग एक साथ मिलकर मनाते हैं।
26 जनवरी का पर्व देशभक्तों के त्याग, तपस्या और बलिदान की अमर कहानी समेटे हुए है। प्रत्येक भारतीय को अपने देश की आजादी प्यारी थी। भारत की भूमि पर पग-पग में उत्सर्ग और शौर्य का इतिहास अंकित है। किसी ने सच ही कहा है- “कण-कण में सोया शहीद, पत्थर-पत्थर इतिहास है।“ ऐसे ही अनेक देशभक्तों की शहादत का परिणाम है, हमारा गणतान्त्रिक देश भारत।
26 जनवरी का पावन पर्व आज भी हर दिल में राष्ट्रीय भावना की मशाल को प्रज्वलित कर रहा है। लहराता हुआ तिरंगा रोम-रोम में जोश का संचार कर रहा है, चहुँओर खुशियों की सौगात है। हम सब मिलकर उन सभी अमर बलिदानियों को अपनी भावांजली से नमन करें, वंदन करें।
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स्वतंत्रता के समय तय की गई कसौटियों के हिसाब से देखें तो भारतीय गणतंत्र बहुत बड़ी सफलता का दावा नहीं कर सकता। लेकिन यह भी सच है कि वह विफल नहीं हुआ है।
आज हमारे देश के सामने कई समस्याएं हैं। उनमें से बड़ी है बेरोजगारी की समस्या। बेरोजगारी के कारण देश के युवकों-युवतियों में भारी असंतोष और बेचैनी पाई जाती है। देश की आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षा प्रणाली में सुधार किया जाए। यही नहीं जनसंख्या पर नियंत्रण भी इस समाधान में बड़ी सहायता कर सकती हैं।
हमारा समाज परिवर्तित हो रहा है। मीडिया जाग्रत हो रही है। जनता भी जाग रही है। युवा सोच का विकास हो रहा है। शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है। टेक्नोलॉजी संबंधी लोगों की फौज बढ़ रही है। इस सबके चलते अब देश का राजनीतिज्ञ भी सतर्क हो गया है। ज्यादा समय तक शासन और प्रशासन में भ्रष्टाचार, अपराध और अयोग्यता नहीं चल पाएगी तो हमारे भविष्य का गणतंत्र गुणतंत्र पर आधारित होगा, इसीलिए कहो....गणतंत्र की जय हो।
आज हमारे देश के सामने कई समस्याएं हैं। उनमें से बड़ी है बेरोजगारी की समस्या। बेरोजगारी के कारण देश के युवकों-युवतियों में भारी असंतोष और बेचैनी पाई जाती है। देश की आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षा प्रणाली में सुधार किया जाए। यही नहीं जनसंख्या पर नियंत्रण भी इस समाधान में बड़ी सहायता कर सकती हैं।
हमारा समाज परिवर्तित हो रहा है। मीडिया जाग्रत हो रही है। जनता भी जाग रही है। युवा सोच का विकास हो रहा है। शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है। टेक्नोलॉजी संबंधी लोगों की फौज बढ़ रही है। इस सबके चलते अब देश का राजनीतिज्ञ भी सतर्क हो गया है। ज्यादा समय तक शासन और प्रशासन में भ्रष्टाचार, अपराध और अयोग्यता नहीं चल पाएगी तो हमारे भविष्य का गणतंत्र गुणतंत्र पर आधारित होगा, इसीलिए कहो....गणतंत्र की जय हो।
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