speech on kisan andolan for 2 to 3 minutes in HINDI
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तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच सरकार विपक्षी दलों पर 'मासूम' किसानों को भड़काने, बरगलाने का आरोप लगा रही है। यहां तक कि किसान आंदोलन के समर्थन और विरोध में सोशल मीडिया पर हैशटैग वॉर छिड़ी हुई है। पक्ष-विपक्ष में एक से बढ़कर एक दलीलें दी जा रही हैं। इन सबके बीच विरोधियों ने मोदी सरकार के खिलाफ 'अटल' वार किया है। किसान आंदोलन पर विरोधियों ने अब मोदी सरकार के खिलाफ दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी को उतार दिया है।
पूरा मामला यह है कि विरोधियों ने अटल बिहारी वाजपेयी के पुराने भाषण की क्लिप शेयर की है जिसमें वह किसानों की दुर्दशा का जिक्र करते हुए तत्कालीन सरकार को चेता रहे हैं कि वह किसान आंदोलन का दमन न करे। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर ऐडवोकेट प्रशांत भूषण ने गुरुवार को अटल बिहारी वाजपेयी के पुराने भाषण का अंश साझा करते हुए ट्वीट किया, 'भाजपा के भक्त अटल बिहारी वाजपेई का 1980 का भाषण किसानों और उनके ऊपर सरकार के अत्याचार के बारे में सुन लें!'
Explanation:
धन्यवाद
किसान आंदोलन को शुरू हुए अब महीने हो चुके हैं और दिल्ली में जुटे किसान भाइयों द्वारा किसान कानून का विरोध अभी भी जारी है। किसान भाई यह चाहते हैं कि नया कृषि कानून वापस लिया जाए और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी की एमएसपी की गारंटी की मांग पूरी की जाए। पंजाब व हरियाणा से आए हुए हजारों किसान पिछले कई महीनों से दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं है कि किसानों द्वारा आंदोलन किया जा रहा है। 32 साल पहले भी किसानों द्वारा दिल्ली के बोट क्लब पर हल्ला बोला गया था जिससे सरकार ने किसानों के लिए लाया हुआ कानून वापस लिया था। फिर से किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर जमे हुए हैं और अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए डटे हुए हैं। सितंबर माह में राष्ट्रपति द्वारा तीन नए कृषि विधायकों पर मुहर लगाई गई थी परंतु किसानों को यह बिल रास नहीं आए और उनका कहना है कि इससे किसानों को भारी नुकसान होगा वह बड़े कॉर्पोरेट खरीद दानों को फायदा। किसानों का कहना है कि यह सरकार ने कॉर्पोरेट घरानों को बढ़ावा प्रदान करवाने के लिए किया है और यह बिल गरीब किसानों के लिए नहीं अंबानी अडानी जैसे बड़े कॉर्पोरेट घरानों के लिए है।