Hindi, asked by 100rabh18, 10 months ago

speech on madhya pradesh esthapna divas 1november​

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Answered by Human100
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1 नवंबर मध्यप्रदेश स्थापना दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। करीब सप्ताहभर चलने वाले इस स्थापना दिवस समारोह में पूरे प्रदेश में हर दिन अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाने हैं। स्थापना दिवस को मनाते वक़्त एक ही सवाल हमारे जेहन में आता है वो ये कि आखिर वो क्या कारण थे जिनके चलते मध्य प्रदेश अस्तित्व में आया? प्रदेश की स्थापना से जुड़ीं अहम जानकारियां हम दे रहे हैं आपको इस श्रृंखला में...पढ़िए

तब कुछ ऐसा था हमारा मध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश आज 59 साल का हो गया है। 1956 में अस्तित्व में आए इस प्रदेश को पहले मध्य भारत कहा जाता था। इसका पुनर्गठन भाषायी आधार पर हुआ। 15 अगस्‍त, 1947 के पूर्व देश में कई छोटी-बड़ी रियासतें एवं देशी राज्‍य अस्तित्‍व में थे। आजादी के बाद उन्‍हें स्‍वतंत्र भारत में मिलाने और एकीकृत किया गया। 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने के बाद देश में सन् 1952 में पहले आम चुनाव हुए, जिसके कारण संसद एवं विधान मण्‍डल कार्यशील हुए।

प्रशासन की दृष्टि से इन्‍हें श्रेणियों में विभाजित किया गया था। सन् 1956 में राज्‍यों के पुनर्गठन के फलस्‍वरूप 1 नवंबर, 1956 को नया राज्‍य मध्‍यप्रदेश अस्तित्‍व में आया। इसके घटक राज्‍य मध्‍यप्रदेश, मध्‍यभारत, विन्‍ध्‍य प्रदेश एवं भोपाल थे, जिनकी अपनी विधान सभाएं थीं। डॉ. पटटाभि सीतारामैया मध्य प्रदेश के पहले राज्यपाल हुए। जबकि पहले मुख्यमंत्री के रूप में पं रविशंकर शुक्ल ने शपथ ली थी। वहीँ पं कुंजी लाल दुबे को मध्यप्रदेश का पहला अध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त हुआ।

भोपाल बनी राजधानी1 नवंबर 1956 को प्रदेश के गठन के साथ ही इसकी राजधानी और विधानसभा का चयन भी कर लिया गया। मध्यप्रदेश के राजधानी के रूप में भोपाल को चुना गया। इस राज्य का निर्माण तात्कालीन सीपी एंड बरार, मध्य भारत, विंध्यप्रदेश, और भोपाल राज्य को मिलाकर हुआ। ऐसा कहा जाता है कि भोपाल को राजधानी बनाए जाने में तात्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. शंकर दयाल शर्मा, भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्ला खान और पं. जवाहर लाल नेहरू की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

राजधानी बनाए जाने के बाद 1972 में भोपाल जिला के रूप में घोषित हो गया। अपने गठन के वक़्त मध्यप्रदेश में 43 जिले थे। आज मध्यप्रदेश में 51 जिले हैं। कई लोगों का यहां तक मानना है कि जवाहरलाल नेहरू इसे राजधानी बनाना चाहते थे।

ग्वालियर बनाई जानी थी राजधानीराजधानी के लिए दावा ग्वालियर के साथ इंदौर का था। यही नहीं जबलपुर भी नए राज्य की राजधानी का दावा करने लगा। दूसरी ओर भोपाल के नबाब भारत के साथ संबंध ही नहीं रखना चाहते थे। वे हैदराबाद के निजाम के साथ मिलकर भारत का विरोध कर रहे थे। केन्द्र सरकार नहीं चाहती थी कि देश के हृदय स्थल में राष्ट्र विरोधी गतिविधियां बढ़ें। इसके चलते सरदार पटेल ने भोपाल पर पूरी नजर रखने के लिए उसे ही मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने का निर्णय लिया।

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