Hindi, asked by RKRJ7, 10 months ago

speech on manav mangal ki aur, manavta jungle ki aur ( advancement of technology and loss of humanity)(hindi) fast plzz...

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Answered by trumo
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सूगी, पोखरी तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के चमोली जिले का एक गाँव है। यह एक भारत के गाँव संबंधी लेख है और अपनी प्रारम्भिक अवस्था में है, यानि कि एक आधार है। आप इसे बढ़ाकर विकिपीडिया की मदद कर सकते है। आयरलैंड राष्ट्रीय रग्बी यूनियन टीम, आयरलैण्ड के द्वीप (दोनो आयरलैण्ड गणतंत्र और उत्तरी आयरलैंड संयुक्त स्तर पर) की पुरुषों की राष्ट्रीय रग्बी यूनियन टीम है।[1][2] गर्दन शरीर का वह हिस्सा होती है जो मानव और अन्य रीढ़-वाले जीवों१ में सिर को धड़ से जोड़ती है। लातिन भाषा में गर्दन से सम्बंधित चीज़ों के लिए "सर्विकल"२ शब्द इस्तेमाल किया जाता है। निर्देशांक: 25°36′40″N 85°08′38″E / 25.611°N 85.144°E / 25.611; 85.144 सरासत नौबतपुर, पटना, बिहार स्थित एक गाँव है। विलौरी, काफलीगैर तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक गाँव है। यह एक भारत के गाँव संबंधी लेख है और अपनी प्रारम्भिक अवस्था में है, यानि कि एक आधार है। आप इसे बढ़ाकर विकिपीडिया की मदद कर सकते है। ग्लाइकोजेन एक कार्बनिक यौगिक है। यह एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है। जन्तुओं में उर्जा संचय का मुख्य माध्यम है। स्टीवन वैनबर्ग संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रसिद्द वैज्ञानिक हैं। 1979 में इन्हें भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। "त्रिमुहानी"उत्तर प्रदेश के फैजाबाद मण्डल के अम्बेडकर नगर जिले के राजेसुल्तानपुर नामक शहर से लगभग 3 किलोमीटर पुर्व की दिशा मे है त्रिमुहानी के उपर से राजेसुल्तानपुर आजमगढ मार्ग जाता है त्रिमुहानी मे तीन नदियो का सगम है

Answered by AbsorbingMan
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Answer:

आज का युग आधुनिक युग कहा जाता है। यह युग उन्नति का प्रतीक है। इसने मनुष्य को सुविधा-संपन्न बनाए है। अब जाकर मानव स्वयं को सभ्य कहला पाया है। लेकिन ध्यान दिया जाए, तो हमने इसके लिए बहुत बड़ी कीमत चुकाई है। यह विकास या अाधुनिकता नहीं हमारा विनाश है, जो हमने स्वयं अपने लिए तैयार किया है।

हमारे द्वारा प्रकृति का इतना दोहन किया गया है कि आज वह विनाशकारी स्थिति में पहुँच गई है। आरंभ से ही हम यह बहुत अच्छी तरह जानते थे कि हम प्रकृति पर पूरी तरह से आश्रित हैं। वही हमारा पालन-पोषण करती है। यदि वह है, तो हम हैं। उसके बिना हमारा अस्तित्व नहीं है। इसके बाद भी हमने सभी सीमा तोड़ते हुए उसका दोहन किया। परिणाम आज वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण तथा मृदा प्रदूषण बढ़ गया है। यह हमारे विनाश का प्रतीक है कि हम जिनके सहारे जीवित हैं, हमने उसे ही प्रदूषित कर गिया है।

हमने यदि शीघ्र कुछ नहीं किया, तो हमारा अंत निश्चित है।

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