Speech on responsiblity in hindi
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किसी व्यक्ति, वस्तु या घटना के लिए जो हमारी जवाबदेही होती है, वही हमारी जिम्मेदारी है। जीवन में Responsibility का होना बहुत जरूरी है और उससे भी जरूरी है– जीवन में मिलने वाली जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभाना। ... “जिम्मेदारियाँ उस व्यक्ति की तरफ खिंची चली आती हैं, जो उन्हें कंधे पर उठा सकता है।”
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जिम्मेदारी का दूसरा नाम कर्तव्य है। जिम्मेदारी का अर्थ जवाबदेही है। किसी भी व्यक्ति या वस्तु के लिए हमारे जो कर्तव्य होते हैं, वही उस व्यक्ति या वस्तु के लिए हमारी जिम्मेदारी होती है। किसी व्यक्ति, वस्तु या घटना के लिए जो हमारी जवाबदेही होती है, वही हमारी जिम्मेदारी है। जीवन में Responsibility का होना बहुत जरूरी है|सामान्यत: कर्तव्य शब्द का अभिप्राय उन कार्यों से होता है, जिन्हें करने के लिए व्यक्ति नैतिक रूप से प्रतिबद्ध होता है। इस शब्द से वह बोध होता है कि व्यक्ति किसी कार्य को अपनी इच्छा, अनिच्छा या केवल बाह्य दबाव के कारण नहीं करता है अपितु आंतरिक नैतिक प्ररेणा के ही कारण करता है। अत: कर्तव्य के पार्श्व में सिद्धांत या उद्देश्य के प्ररेणा है। उदहरणार्थ संतान और माता-पिता का परस्पर संबंध, पति-पत्नी का संबध, सत्यभाषण, अस्तेय (चोरी न करना) आदि के पीछे एक सूक्ष्म नैतिक बंधन मात्र है। कर्तव्य शब्द में “कर्म’ और “दान’ इन दो भावनाओं का सम्मिश्रण है। इस पर नि:स्वार्थता का अस्फुट छाप है। कर्तव्य मानव के किसी कार्य को करने या न करने के उत्तरदायित्व के लिए दूसरा शब्द है। कर्तव्य दो प्रकार के होते हैं- नैतिक तथा कानूनी। नैतिक कर्तव्य वे हैं जिनका संबंध मानवता की नैतिक भावना, अंत:करण की प्रेरणा या उचित कार्य की प्रवृत्ति से होता है। इस श्रेणी के कर्तव्यों का सरंक्षण राज्य द्वारा नहीं होता। यदि मानव इन कर्तव्यों का पालन नहीं करता तो स्वयं उसका अंत:करण उसको धिक्कार सकता है, या समाज उसकी निंदा कर सकता है किंतु राज्य उन्हें इन कर्तव्यों के पालन के लिए बाध्य नहीं कर सकता। सत्यभाषण, संतान संरक्षण, सद्व्यवहार, ये नैतिक कर्तव्य के उदाहरण हैं। कानूनी कर्तव्य वे हैं जिनका पालन न करने पर नागरिक राज्य द्वारा निर्धारित दंड का भागी हो जाता है। इन्हीं कर्तव्यों का अध्ययन राजनीतिक शास्त्र में होता है।
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