speech on देश मै डॉक्टर न होते |
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यदि डॉक्टर अच्छी तरह अपने कर्तव्य की जिम्मेदारी निभाता है तो वह भगवान से कम नहीं होता। पर यदि वह अपने पेशे में बेईमानी करता है तो यह गलत है।आज के आधुनिक युग में बहुत ही कम डॉक्टर हैं जो अपने उत्तरदायित्व को ईमानदारी से निभाते हैं। ज्यादातर डॉक्टर तो बस अधिक से अधिक पैसा कमाने की चाहत रखते हैं। यह भी सच है कि डॉक्टर के पास कोई नहीं जाना चाहता, पर हर साल कभी न कभी ऐसा दिन आ ही जाता है कि लोगों को डॉक्टर के पास जाना पड़ता है।जब मैं छोटा था तो मेरे घर के सदस्य माता पिता और भाई बहन सोचते थे कि मैं डॉक्टर बनूंगा, पर आज मैं दूसरे पेशे में हूं। इसके बावजूद भी मैं जब डॉक्टर के पैसे के बारे में सोचता हूं तो मेरे मन में एक प्रश्न उठता है “यदि मैं डॉक्टर होता तो क्या होता”। इसी बिंदु मैं आप लोगों के सामने एक अच्छा निबंध प्रस्तुत करूँगा “यदि मैं डॉक्टर होता”बहुत से डाक्टर ऐसे होते हैं कि जब तक उनका क्लीनिक अच्छी तरह नहीं चलता वह लोगों का अच्छा उपचार करते हैं। समय लेकर मरीजो की जांच करते हैं और दवा लिखते हैं। पर जैसे ही उनका क्लिनिक ज्यादा चलने लगता है वह अपने काम में लापरवाही दिखाने लगते हैं।एक मरीज को देखने में सिर्फ 2 से 5 मिनट का समय देते हैं। उनका लक्ष्य अधिक से अधिक पैसा कमाना बन जाता है। पर यदि मैं डॉक्टर होता तो इस तरह की कोई लापरवाही नहीं करता। अपने ज्ञान के अनुसार उनकी अच्छे से जांच करता और सही दवा लिखता।आज के युग में डॉक्टरों ने अंधेर मचा रखा है। एक तरफ वे 200 से लेकर 500, 1000 रुपये तक मोटी फीस वसूलते हैं और दूसरी तरफ मरीजों को जरूरत से ज्यादा दवाएं लिख देते हैं। बहुत ही जगह तो डॉक्टर को एक बार दिखाने पर मरीज का 4 से 5 हजार रूपये तक खर्च हो जाता है।इतना ही नहीं जब मरीज डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाएँ लेने दुकान पर जाता है तो उसे किसी प्रकार की छूट नहीं दी जाती है क्योंकि दुकानदार द्वारा डॉक्टर को दवाओं पर मोटा कमीशन देना पड़ता है।हमारे देश में बहुत से ऐसे लोग हैं जो बहुत गरीब हैं। उनके पास महंगी दवा खरीदने के पैसे नहीं होते हैं। डॉक्टर की फीस चुकाने के लिए पर्याप्त धन नहीं होता है। इस श्रेणी में छोटे मजदूर, कामगार, रिक्शेवाले, रेड़ी वाले, फैक्ट्री के मजदूर, भिखारी जैसे लोग आते हैं। उन लोगों को अच्छा इलाज नहीं मिल पाता है। यदि मैं डॉक्टर होता तो अपने खाली वक्त में लोगों की निशुल्क उपचार करता।दोस्तों, हर पेशेवर आदमी काम करते करते थक जाता है और उसे छुट्टियों की जरूरत होती है। पर क्या आपने सोचा है कि एक डॉक्टर यदि कुछ दिन छुट्टी पर चला जाए तो इसका क्या असर होगा? बहुत से मरीज तो बिना इलाज के ही मर जाएंगे।हमारे देश में वैसे ही डॉक्टरों की बहुत कमी है। भारत में हर 2000 मरीजों पर एक डॉक्टर का औसत आंकड़ा पाया जाता है। ऐसे में यदि मैं डॉक्टर होता तो कम से कम छुट्टी लेता। मैं अपना जीवन मरीजों के उपचार करने में लगा देता।आप लोग तो जानते ही होंगे कि एक डॉक्टर दूसरे पेशेवरों की तुलना में अधिक पैसा कमाता है। इसके बावजूद भी वे मरीजों से मोटी फीस परामर्श शुल्क के तौर पर वसूलते हैं।यदि मैं डॉक्टर होता तो मैं मरीजों से कम फीस लेता। मुझे यह बात अच्छी तरह पता है कि भारत में ऐसे बहुत से गरीब लोग हैं जिनके पास पैसे की बहुत कमी है।वे मुश्किल से दवाइयों का खर्च उठा पाते हैं। पर जब उन्हें डॉक्टर को परामर्श शुल्क देना होता है तो उनकी अर्थव्यवस्था ही चरमरा जाती है। मैं लोगों की तकलीफ समझ कर उनसे कम परामर्श शुल्क लेता।आप लोगों ने ऐसे डॉक्टरों की किस्से कहानी जरूर सुने होंगे जिन्होंने मानवता की सेवा के लिए अपनी सारी संपत्ति दान कर दी। भूखे प्यासे रहकर मरीजों का इलाज करते रहे। ऐसे में यदि मैं डॉक्टर होता तो मैं भी ऐसा कुछ करने का प्रयास करता। मैं दूसरे डॉक्टर के लिए एक आदर्श बनने की कोशिश करता।आप लोग यह तो जानते होंगे कि हमारे देश में कितना अंधविश्वास मौजूद है। कई बार बीमारी होने पर लोग उसे कोई दैवी आपदा समझते हैं और जादू टोना करने वाले बाबाओं के पास चले जाते हैं। ऐसे बाबा ना सिर्फ मरीजों को बेवकूफ बनाते हैं बल्कि उनसे मोटी रकम भी वसूल करते हैं। यदि मैं डॉक्टर होता है तो मैं लोगों को शिक्षित करता। उन्हें बताता की किसी भी प्रकार के अंधविश्वास में ना पड़े। कोई समस्या होने पर सीधे डॉक्टर के पास जाएं।हमारे देश में बड़े पैमाने पर लोगों की नजरों से छुपा कर मानव अंगों की तस्करी होती है। इस तरह की खबरें आपने समाचार पत्रों में जरूर पढ़ी होंगी। कई डॉक्टर तो खुद ही मरीजों की किडनियाँ और दूसरे अंग निकाल कर बेच देते हैं।हमारे समाज के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। यदि मैं डॉक्टर होता तो मानव अंगों की तस्करी के खिलाफ एक अभियान चलाता। सरकार को इसे रोकने के लिए कठोर कानून बनाने के लिए आंदोलन करता।
हृदय सम्बंधित रोग, स्ट्रोक, श्वसन सम्बंधित रोग, क्रॉनिक पलमोनरी रोग, क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी रोग, फेफड़ों का कैंसर, शुगर (मधुमेह), अल्जाइमर, डायरिया से संबंधित रोग, टीवी (क्षय रोग), लीवर सिरोसिस जैसी अनेक बीमारियां है जिनका पूरी तरह इलाज संभव नहीं हो पाया है। मैं ऐसी बीमारियों पर शोधकर्ता और उनका इलाज ढूंढने का प्रयास करता।केमिस्ट और जांच केंद्रों से कमीशन नहीं लेता
आप लोगों को यह बात तो पता होगी कि जब एक डॉक्टर किसी मरीज को परामर्श के तौर पर दवा का पर्चा लिखता है और वह मरीज जब केमिस्ट की दुकान पर जाकर दवा खरीदता है तो डॉक्टर को मोटा कमीशन मिलता है।इसके अलावा एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, खून जांच और अन्य जाँच पर डॉक्टर का कमीशन फिक्स होता है। यदि मैं डॉक्टर होता तो मैं अपना कमीशन नहीं लेता, जिससे मरीजों को कुछ छूट मिल जाती। उन्हें और उनकी कुछ मदद हो जाती।.....
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