Srotbhasa aur lakshy bhasha me antar
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मूलपाठ की भाषा 'स्रोत भाषा' कहलाती है तथा अनूदित पाठ की भाषा 'लक्ष्य भाषा' कहलाती है। स्रोत भाषा को मूल भाषा भी कहा जाता है जिस भाषा में कोई पाठ मूलतः तैयार किया जाता है। बहुत-से अनुवाद ऐसे भी होते हैं जो मूल भाषा से नहीं किए जाते हैं। ऐसे अनुवाद वस्तुतः, 'अनुवाद का अनुवाद' होते हैं।
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