Steps to consrev fuel in Hindi
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ईंधन हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है, हमारे जीवन में रोज़ाना जो कुछ भी हम उपयोग करते हैं वह सब ईंधन द्वारा चलाया जाता है। ऑटोमोबाइल चलाने से लेकर खाना पकाने तक ईंधन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इस महत्वपूर्ण संसाधन के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। लेकिन आज की परिदृश्य में हम जिस तरह ईंधन का उपयोग कर रहे हैं जल्द ही यह हमारे ग्रह से गायब होने वाला है। पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान संघ, पेट्रोल की खपत को कम करने और ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों को बढ़ाने के लिए ईंधन संरक्षण को प्रोत्साहित करता है। लेकिन जब तक हम, मानव स्वयं ईंधन का संरक्षण नहीं करते और ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग नहीं करते, तब तक समस्याएं हल नहीं की जा सकतीं।
ईंधन का अत्यधिक और अनियोजित उपयोग न केवल भविष्य की पीढ़ी के लिए खतरा है अपितु हमारे वर्तमान को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा हैं । हम सभी जानते हैं कि जब ईंधन को जलाया जाता हैं तब हानिकारक कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन होती हैं जो ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण है। तापमान में वृद्धि के कई हानिकारक परिणाम हैं जैसे ग्लेशियर का पिघलना , कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बाढ़ और समुद्र के स्तरों में वृद्धि। यदि ऐसी स्थितियां जारी रहती हैं तो निकट भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते है। पर्यावरण को हानि पहुँचाने के अलावा, वायु प्रदूषण के परिणामस्वरूप अस्थमा, क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिसऑर्डर या सीओपीडी और फेफड़े के कैंसर जैसे कई रोग पैदा हो सकते हैं। ईंधन की कमी के कारण हमें इसे अन्य देशों से बहुत ज्यादा कीमत पर आयात करना पड़ता हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारत के आर्थिक विकास को प्रभावित करते हैं। पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी व ईंधन की खराब गुणवत्ता पेट्रोलियम की बढ़ती मांग के कारण ही हैं। इसलिए ईंधन संरक्षण को समाज में एक प्रमुख स्थान दिया जाना चाहिए।
ईंधन संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी हैं क्यूंकि हमारी भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और समृद्ध वातावरण बनाना हमारा कर्त्वय है एवं माता-पिता होने के नाते हमारे बच्चों को स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण देना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। यदि हम में से हर एक ईंधन का उपयोग समझदारी व संवेदी रूप से करता है, तो हम निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारे पर्यावरण और भविष्य को बचा सकते हैं।
ईंधन का अत्यधिक और अनियोजित उपयोग न केवल भविष्य की पीढ़ी के लिए खतरा है अपितु हमारे वर्तमान को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा हैं । हम सभी जानते हैं कि जब ईंधन को जलाया जाता हैं तब हानिकारक कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन होती हैं जो ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण है। तापमान में वृद्धि के कई हानिकारक परिणाम हैं जैसे ग्लेशियर का पिघलना , कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बाढ़ और समुद्र के स्तरों में वृद्धि। यदि ऐसी स्थितियां जारी रहती हैं तो निकट भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते है। पर्यावरण को हानि पहुँचाने के अलावा, वायु प्रदूषण के परिणामस्वरूप अस्थमा, क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिसऑर्डर या सीओपीडी और फेफड़े के कैंसर जैसे कई रोग पैदा हो सकते हैं। ईंधन की कमी के कारण हमें इसे अन्य देशों से बहुत ज्यादा कीमत पर आयात करना पड़ता हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारत के आर्थिक विकास को प्रभावित करते हैं। पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी व ईंधन की खराब गुणवत्ता पेट्रोलियम की बढ़ती मांग के कारण ही हैं। इसलिए ईंधन संरक्षण को समाज में एक प्रमुख स्थान दिया जाना चाहिए।
ईंधन संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी हैं क्यूंकि हमारी भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और समृद्ध वातावरण बनाना हमारा कर्त्वय है एवं माता-पिता होने के नाते हमारे बच्चों को स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण देना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। यदि हम में से हर एक ईंधन का उपयोग समझदारी व संवेदी रूप से करता है, तो हम निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारे पर्यावरण और भविष्य को बचा सकते हैं।
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