story in hindi jaisi karni vaisi bharni
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नमस्कार मित्र ✋
आप की कहानी निम्नलिखित है
◆◆जैसीकरनीवैसीभरनी◆◆
हमारी कहानी का मुख्य पात्र एक किसान है जिसका नाम श्यामलाल है , जो आपने खेतों में काम करके अपना गुजारा करता है । और वो एक समृद्ध किसान था । गांव में उसकी काफी इज्जत थी और लोग उसकी प्रशंसा करते थे।
लेकिन उसी गांव में एक और किसान रमेश नाथ था जो श्यामलाल से काफी जलता था। वो उसे अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझता था । वह नित्य प्रतिदिन श्यामलाल के लिए कोई ना कोई षड्यंत्र रचता रहता था लेकिन हर बार उसे मुंह की खानी पड़ती थी।
लेकिन एक वर्ष ऐसा आया जब श्याम लाल के खेत में फसल नहीं हो पा रही थी और वह काफी परेशान था। तभी उसे ज्ञात हुआ कि सरकार ने नए खाद किसानों को रियायती दरों पर उपलब्ध कराए हैं जिससे फसल अच्छे उगेंगे।
श्यामलाल काफी प्रसन्न हुआ और उसने निश्चय किया कि वह आया खाद जरूर खरीदेगा, लेकिन किसी कारणवश वह बाजार नहीं जा पाया और उसने रमेशनाथ से आग्रह किया कि वह उसके लिए वह उपजाऊ खाद खरीद कर ले आए, पहले तो रमेश नाथ ने साफ इंकार कर दिया फिर अचानक उसने कुछ सोचा और हामी भर दी।
रमेश नाथ ने सोचा क्यों ना मैं इसे खाद के बदले कोई जहरीली वस्तु दे दो जिसे अपने खेत में डालें उससे इस की फसल और खराब हो जाए और खेत हमेशा के लिए अनुपजाऊ हो जाए, रमेश नाथ बाज़ार गया और उसने वहां से दो खाद की बोरियां खरीदी जिसमें से एक में उसने जहरीली पदार्थ भर दिए और दूसरा खुद के लिए लेकर गया।
क्योंकि दोनों खाद की बोरियां एक जैसी थी इसलिए जब रमेश नाथ श्याम लाल के घर उसे खाद की बोरियां देने गया तब गलती से उसने उसे व खाद की बोरी दे दी जो उसने खुद के लिए खरीदी थी और जहरीले पदार्थ वाली बोरी खुद के लिए ले ली।
रमेश नाथ अपने आप में काफी प्रसन्न था कि इस बार वह कामयाब हो गया है।
परंतु जब उसने देखा कि श्यामलाल का फसल और भी अच्छा हो गया है और उसका फसल बहुत खराब हो गया है तब उसे एहसास हुआ कि उसने बहुत बड़ी गलती कर दी।
और आप उसे बहुत पछतावा हो रहा था इसलिए वह श्यामलाल के पास गया और उसे सारी बात बता दी,
सारी बात सुनने के बाद श्यामलाल ने सिर्फ एक बात कहा," जैसी करनी , वैसी भरनी" ☺
©this is an original work of Mr. jerri
hope it helps
jerri
आप की कहानी निम्नलिखित है
◆◆जैसीकरनीवैसीभरनी◆◆
हमारी कहानी का मुख्य पात्र एक किसान है जिसका नाम श्यामलाल है , जो आपने खेतों में काम करके अपना गुजारा करता है । और वो एक समृद्ध किसान था । गांव में उसकी काफी इज्जत थी और लोग उसकी प्रशंसा करते थे।
लेकिन उसी गांव में एक और किसान रमेश नाथ था जो श्यामलाल से काफी जलता था। वो उसे अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझता था । वह नित्य प्रतिदिन श्यामलाल के लिए कोई ना कोई षड्यंत्र रचता रहता था लेकिन हर बार उसे मुंह की खानी पड़ती थी।
लेकिन एक वर्ष ऐसा आया जब श्याम लाल के खेत में फसल नहीं हो पा रही थी और वह काफी परेशान था। तभी उसे ज्ञात हुआ कि सरकार ने नए खाद किसानों को रियायती दरों पर उपलब्ध कराए हैं जिससे फसल अच्छे उगेंगे।
श्यामलाल काफी प्रसन्न हुआ और उसने निश्चय किया कि वह आया खाद जरूर खरीदेगा, लेकिन किसी कारणवश वह बाजार नहीं जा पाया और उसने रमेशनाथ से आग्रह किया कि वह उसके लिए वह उपजाऊ खाद खरीद कर ले आए, पहले तो रमेश नाथ ने साफ इंकार कर दिया फिर अचानक उसने कुछ सोचा और हामी भर दी।
रमेश नाथ ने सोचा क्यों ना मैं इसे खाद के बदले कोई जहरीली वस्तु दे दो जिसे अपने खेत में डालें उससे इस की फसल और खराब हो जाए और खेत हमेशा के लिए अनुपजाऊ हो जाए, रमेश नाथ बाज़ार गया और उसने वहां से दो खाद की बोरियां खरीदी जिसमें से एक में उसने जहरीली पदार्थ भर दिए और दूसरा खुद के लिए लेकर गया।
क्योंकि दोनों खाद की बोरियां एक जैसी थी इसलिए जब रमेश नाथ श्याम लाल के घर उसे खाद की बोरियां देने गया तब गलती से उसने उसे व खाद की बोरी दे दी जो उसने खुद के लिए खरीदी थी और जहरीले पदार्थ वाली बोरी खुद के लिए ले ली।
रमेश नाथ अपने आप में काफी प्रसन्न था कि इस बार वह कामयाब हो गया है।
परंतु जब उसने देखा कि श्यामलाल का फसल और भी अच्छा हो गया है और उसका फसल बहुत खराब हो गया है तब उसे एहसास हुआ कि उसने बहुत बड़ी गलती कर दी।
और आप उसे बहुत पछतावा हो रहा था इसलिए वह श्यामलाल के पास गया और उसे सारी बात बता दी,
सारी बात सुनने के बाद श्यामलाल ने सिर्फ एक बात कहा," जैसी करनी , वैसी भरनी" ☺
©this is an original work of Mr. jerri
hope it helps
jerri
AnviGottlieb:
Waah! (^^)
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14
नमस्कार मित्र |
~~~~~~~~~~
▪चलिए सबसे पहले हम लोग जानते हैं कि जैसी करनी वैसी भरनी का अर्थ क्या है ?
बुरे कर्मों का फल सर्वथा बुरा होता है और अच्छे कर्मों का फल अच्छा होता है | यदि हम परिश्रम करेंगे तो हमें सफलता अवश्य हाथ लगेगी हाथ पर हाथ धरे रहने पर सफलता नहीं मिलेगी | हम किसी का बुरा चाहेंगे तो हमारा भला कैसे हो सकता है | महाकवि तुलसीदास ने कहा है कि --
"जो जस करहिं सो तस फल चाखा |"
गीता में भी लिखा है --
"जो जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान | "
आदमी के भाग्य का निर्णय उसके कर्म के अनुसार होता है | यदि आदमी अच्छा कर्म करता है तो उसका भाग्य अच्छा होता है , बुरा कर्म करता है तो उसका भाग्य बुरा होता है |अतः दुष्कर्म से बचना तथा सत्कर्म के रास्ते पर चलना हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए |
अब मैं आपको एक कहानी सुनाना चाहता हूं ---
'' एक व्यक्ति नदी का पानी दूध में मिलाकर अपने ग्राहकों को दिया करता था | नदी के किनारे एक वृक्ष पर एक बंदर रहता था , वह उस व्यक्ति के प्रतिदिन देखा करता था | एक दिन वह आदमी बाजार से पैसे लेकर लौट रहा था | उसने पैसे का बटुआ किनारे पर रख हाथ मुंह धोने चाहा | बंदर वृक्ष से नीचे उतर गया | बटुए से पैसे निकालकर पानी में फेंक दिए तथा कुछ पैसे बटुए में छोड़ दिया | उस व्यक्ति के शोरगुल करने पर कुछ व्यक्ति एकत्र हुए | बंदर ने कहा --"पानी के पैसे पानी में गए और दूध के पैसे बटुए में है "
अतः ठीक ही कहा गया है कि '' जैसी करनी वैसी भरनी ''
आशा करता हूं कि यह कहानी आपकी सहायता करेगी |
~~~~~~~~~~
▪चलिए सबसे पहले हम लोग जानते हैं कि जैसी करनी वैसी भरनी का अर्थ क्या है ?
बुरे कर्मों का फल सर्वथा बुरा होता है और अच्छे कर्मों का फल अच्छा होता है | यदि हम परिश्रम करेंगे तो हमें सफलता अवश्य हाथ लगेगी हाथ पर हाथ धरे रहने पर सफलता नहीं मिलेगी | हम किसी का बुरा चाहेंगे तो हमारा भला कैसे हो सकता है | महाकवि तुलसीदास ने कहा है कि --
"जो जस करहिं सो तस फल चाखा |"
गीता में भी लिखा है --
"जो जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान | "
आदमी के भाग्य का निर्णय उसके कर्म के अनुसार होता है | यदि आदमी अच्छा कर्म करता है तो उसका भाग्य अच्छा होता है , बुरा कर्म करता है तो उसका भाग्य बुरा होता है |अतः दुष्कर्म से बचना तथा सत्कर्म के रास्ते पर चलना हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए |
अब मैं आपको एक कहानी सुनाना चाहता हूं ---
'' एक व्यक्ति नदी का पानी दूध में मिलाकर अपने ग्राहकों को दिया करता था | नदी के किनारे एक वृक्ष पर एक बंदर रहता था , वह उस व्यक्ति के प्रतिदिन देखा करता था | एक दिन वह आदमी बाजार से पैसे लेकर लौट रहा था | उसने पैसे का बटुआ किनारे पर रख हाथ मुंह धोने चाहा | बंदर वृक्ष से नीचे उतर गया | बटुए से पैसे निकालकर पानी में फेंक दिए तथा कुछ पैसे बटुए में छोड़ दिया | उस व्यक्ति के शोरगुल करने पर कुछ व्यक्ति एकत्र हुए | बंदर ने कहा --"पानी के पैसे पानी में गए और दूध के पैसे बटुए में है "
अतः ठीक ही कहा गया है कि '' जैसी करनी वैसी भरनी ''
आशा करता हूं कि यह कहानी आपकी सहायता करेगी |
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