Story in Hindi WITH MORAL FOR CLASS 6 "STORY WRITING COMPETITION IN HINDI WITH MORAL"
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Story no. 1 सच्चा लकड़हारा
एक समय की बात हैं किसी गांव में एक लकड़हारा रहता था। उसका नाम मंगल था। मंगल बहुत सीधा और सच्चा था। वह बहुत गरीब था इसीलिए कड़ी मेहनत करके अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। वह दिनभर जंगल में सुखी लकड़ियाँ काटता और शाम होने पर उनका गट्ठर बाँधकर बाजार लेकर जाता। लकड़ियों को बेचने पर जो पैसे मिलते थे, उनसे वह आटा, नमक आदि खरीदकर घर लौट आता था।
उसे अपने परिश्रम की कमाई पर बड़ा संतोष था। एक दिन मंगल जंगल में लकड़ी काटने गया। एक नदी के किनारे एक पेड़ की सुखी डाल काटने वह पेड़ पर चढ़ गया। डाल काटते समय उसकी कुल्हाड़ी लकड़ी मे से ढीली होकर निकल गयी और नदी में गिर गयी। मंगल पेड़ से उतर आया। अपना कुल्हाड़ी खोजने नदी छलांग लगा दी। नदी के पानी में उसने कई बार डुबकी लगायी; किन्तु उसे अपना कुल्हाड़ी नहीं मिला।
मंगल दुःखी होकर नदी के किनारे दोनों हाथों से सर को पकड़ के बैठ गया। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। उसके पास दूसरी कुल्हाड़ी खरीदने को पैसे नहीं थे। कुल्हाड़ी के बिना वह अपना और अपने परिवार का पालन कैसे करेगा, यह बड़ी भारी चिंता उसे सता रही थी।
Story no. 2 सोने की कुल्हाड़ी
वन के देवता को मंगल पर दया आ गयी। वे बालक का रूप धारण करके प्रकट हो गये और बोले - 'भाई! तुम क्यों रो रहे हो ?' मंगल ने उन्हें प्रणाम किया और कहा - 'मेरी कुल्हाड़ी पानी में गिर गयी। अब मै लकड़ी कैसे काटूँगा और अपने बाल-बच्चो का पेट कैसे भरूँगा ?'देवता ने कहा -'रोओ मत! मैं तुम्हारी कुल्हाड़ी निकाल देता हूँ।' देवता ने पानी में डुबकी लगायी और एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर निकले। उन्होंने कहा - 'तुम अपनी कुल्हाड़ी लो।'मंगल ने सर उठाकर देखा और कहा - 'यह तो किसी बड़े आदमी की कुल्हाड़ी हैं। मैं गरीब आदमी हूँ। मेरे पास कुल्हाड़ी बनाने के लिए सोना कहाँ से आवेगा। यह तो सोने की कुल्हाड़ी हैं।देवता ने दूसरी बार फिर डुबकी लगायी और चाँदी की कुल्हाड़ी निकलकर वे मंगल को देने लगे। मंगल ने कहा 'महाराज! मेरे भाग्य खोते हैं। आपने मेरे लिए बहुत कष्ट उठाया, पर मेरी कुल्हाड़ी नहीं मिली। मेरी कुल्हाड़ी तो साधारण लोहे की हैं।
देवता ने तीसरी बार डुबकी लगाकर मंगल की लोहे की कुल्हाड़ी निकाल दी। मंगल प्रसन्न हो गया। उसने धन्यवाद देकर अपनी कुल्हाड़ी ले ली। देवता मंगल की सच्चाई और ईमानदारी से बहुत प्रसन्न हुए। वे बोले - 'मैं तुम्हारी सच्चाई और ईमानदारी से बहुत प्रसन्न हूँ। तुम ये दोनों कुल्हाड़ी भी ले जाओ।
सोने और चाँदी की कुल्हाड़ी पाकर मंगल धनी हो गया। वह अब लकड़ी काटने नहीं जाता था। उसके पड़ोसी घुरहू ने मंगल से पूछा कि - 'तुम अब क्यों लकड़ी काटने नहीं जाते?'
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