story of Lohri festival in hindi
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लोहड़ी भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है। यह मकर संक्रान्ति के एक दिन पहले मनाया जाता है। रात्रि में खुले स्थान में परिवार और आस-पड़ोस के लोग मिलकर आग के किनारे घेरा बना कर बैठते हैं। इस समय रेवड़ी, मूंगफली, आदि खाए जाते हैं। रात में खुले स्थान में परिवार और आस-पड़ोस के लोग मिलकर आग के किनारे घेरा बना कर बैठते हैं और लोहड़ी के गाने गाते हैं I
यह मुख्यत: पंजाब का पर्व है I लोहड़ी से संबद्ध परंपराओं एवं रीति-रिवाजों से ज्ञात होता है कि इतिहासिक गाथाएँ भी इससे जुडी हुई हैं। दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के योगाग्नि-दहन की याद में ही यह अग्नि जलाई जाती है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में ‘खिचड़वार’ और दक्षिण भारत के ‘पोंगल’ पर भी ‘लोहड़ी’ के समीप ही मनाए जाते हैं।
लोहड़ी से 10-12 दिन पहले ही बच्चे ‘लोहड़ी’ के लोकगीत गाकर दाने, लकड़ी और उपले इकट्ठे करते हैं। इस सामग्री से चौराहे या मुहल्ले के किसी खुले स्थान पर आग जलाई जाती है। रेवड़ी और मूंगफली अग्नि की भेंट किए जाते हैं तथा ये ही चीजें प्रसाद के रूप में सभी लोगों को बाँटी जाती हैं। घर लौटते समय ‘लोहड़ी’ में से दो चार कोयले प्रसाद के रूप में, घर पर लाने की प्रथा भी है।
यह मुख्यत: पंजाब का पर्व है I लोहड़ी से संबद्ध परंपराओं एवं रीति-रिवाजों से ज्ञात होता है कि इतिहासिक गाथाएँ भी इससे जुडी हुई हैं। दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के योगाग्नि-दहन की याद में ही यह अग्नि जलाई जाती है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में ‘खिचड़वार’ और दक्षिण भारत के ‘पोंगल’ पर भी ‘लोहड़ी’ के समीप ही मनाए जाते हैं।
लोहड़ी से 10-12 दिन पहले ही बच्चे ‘लोहड़ी’ के लोकगीत गाकर दाने, लकड़ी और उपले इकट्ठे करते हैं। इस सामग्री से चौराहे या मुहल्ले के किसी खुले स्थान पर आग जलाई जाती है। रेवड़ी और मूंगफली अग्नि की भेंट किए जाते हैं तथा ये ही चीजें प्रसाद के रूप में सभी लोगों को बाँटी जाती हैं। घर लौटते समय ‘लोहड़ी’ में से दो चार कोयले प्रसाद के रूप में, घर पर लाने की प्रथा भी है।
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