story on jab sangya ne khole apne bhed
Answers
उत्तर-> संज्ञा एक बूढी औरत थी| उसके पास एक जादुई शक्ति थी| वो व्यक्ति, वस्तु, स्थान में बदल सकती थी, वो अपनी शक्ति से विचार या भाव बना देती थी|
संज्ञा के तीन पुत्र थे वो तीनों बड़े पराक्रमी और महारथी थे| वे अपनी अपनी कला में निपुण थे|
एक का नाम व्यक्तिवाचक था, दूसरे का जातिवाचक और तीसरे का भाववाचक था| एक दिन वो तीनों आपस में उलझ पड़े| एक बोलता मैं बड़ा हूँ तो दूसरा बोलता मैं बड़ा हूँ|
व्यक्तिवाचक बोलता है -> अगर मैं न होता तो किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान आदि के नाम का पता कभी न चल पता |
जातिवाचक बोला -> अरे भाई, अगर मैं न होता तो सम्पूर्ण जाति का बोध कैसे होता?
तभी शेर की तरह गर्जना करके भाववाचक बोला-> अरे भाई, मैं ही सबसे बड़ा हूँ क्योंकि मेरी बजह से ही तो इस संसार में गुण, दशा, स्वभाव आदि का पता चलता है| इसलिए मैं ही बड़ा हूँ|
उनका झगड़ा सुनकर तभी संज्ञा बाहर आती है और बोलती है तुम तीनों का अपनी अपनी जगह विशेष महत्व है चलो अन्दर खाना लगा दिया है|
जब संज्ञा ने खोले अपने भेद !
Explanation:
बच्चों मुझे लोग "संज्ञा" के नाम से बुलाते हैं | तुम जी किसी भी वस्तु, प्राणी, भाव , स्थान आदि को देख रहे हो उसिके नाम को ही मेँ सूचित करता हूँ |मेरे 5 रूप यानि भेद हैं |
- व्यक्तिवाचक |
- जातिवाचक |
- समूहवाचक |
- द्रव्यवाचक |
- भाववाचक |
व्यक्तिवाचक संज्ञा में मेँ किसी व्यक्ति या वस्तु की नाम को दर्शाती हूँ | ठीक उसी तरह जातीवाचक संज्ञा में मेँ किसी पदार्थ व व्यक्ति के जाती को दर्शाती हूँ और समूहवाचक संज्ञा में पदार्थ व वस्तु के समूहों को दर्शाती हूँ | भाववाचक संज्ञा में मेँ लोगों की भावनाओं को सूचित करती हूँ |