Hindi, asked by RachnaTalwar, 11 months ago

story on samvedna ka abhav in Hindi​

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Answered by shishir303
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                                   संवेदना का अभाव

आज हमारा समाज किस ओर जा रहा है हम कितने संवेदनहीन हो गए हैं हमारे अंदर संवेदना का अभाव हो चुका है। यह हमें अपने आसपास के लोगों के आचरण से दिखता है। एक आंखों देखी घटना इस बात का उदाहरण है।

एक बार अपने घर लौटते समय मैं सड़क पर चल रहा था

।  एक व्यक्ति जो सड़क पार करने की कोशिश कर रहा था कि अचानक उसको एक कार ने टक्कर मार दी और वह घायल होकर गिर पड़ा। कार चालक उसकी मदद करने की बजाय कार को भगाकर ले गया और वो व्यक्ति सड़क पर पड़ा तड़पने लगा। मैं तुरंत उसकी मदद के लिए दौड़ा, लेकिन आसपास से कोई उसकी मदद के लिए नहीं आया। लोग अपना मोबाइल निकालकर उस तड़पते हुए व मरते हुए व्यक्ति का वीडियो बनाने लगे। उन्हें शायद इसमें आनंद आ रहा था। किसी ने भी उन्हें उसे अस्पताल पहुंचाने मैं मदद नहीं की।

मैं अकेला कुछ नहीं कर सकता था। इस कारण मैंने आसपास कई कारों और रिक्शा वालों को रोकने की कोशिश की। लेकिन कोई नही रुका। आस पास कोई वाहन भी नहीं खड़ा था, जिसकी मैं सहायता ले सकता था। मेरे पास भी कोई वाहन भी नहीं था जो मैं अपने वाहन में बैठाकर ले जाता। मैंने कई वाहनों को रोकने की कोशिश की लेकिन सब देखकर तेजी से निकल जाते। आसपास के लोग भी बस केवल तमाशबीन बनकर खड़े थे।

उस व्यक्ति की सांसे धीरे-धीरे चल रही थीं और अंत में उसकी सांसें थम गई। अगर उसे समय पर अस्पताल पहुंचाया जाता तो मैं शायद बच सकता था। लेकिन संवेदनहीन लोगों के समाज में लोगों में संवेदना का इतना अभाव है कि किसी व्यक्ति की मदद करने की बजाय लोग मोबाइल से वीडियो बनाने में व्यस्त हो जाते हैं और तमाशबीन बन जाते हैं।

समाज में व्याप्त संवेदनहीनता हमें अंदर तक झकझोर देती है। किसी दिन ऐसी ही घटना जब स्वयं पर घटती है और हमें मदद की जरूरत पड़ती है तब एहसास होता है कि संवेदनहीन होना कितना बुरा है।

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Answered by dcharan1150
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संवेदना मनुष्यता की एक पहचान |

Explanation:

वैसे तो इंसानों को दूसरे जीवों से उसके बुद्धिमता के लिए उन्नत व विकसित माना जाता हैं, परंतु इसके अलावा भी ऐसे कई गुण और भावनाएं जो की इंसान को उसके उन्नत होने का परिचय देता हैं | इन्हीं गुणों के अंदर एक "संवेदना" का भी गुण आता हैं | संवेदना यानी दूसरों के प्रति सहानुभती की भावना प्रकट करना |

हर किसी के जीवन में कुछ ऐसे पल आते हैं जहां उसे किसी की सहानुभूति यानी संवेदना की जरूरत पड़ती ही पड़ती हैं | तब उसी समय कोई उस व्यक्ति को संवेदना से भरी दो मीठी बोली भी बोल दे तो उसके जख्मी दिल में यह मरहम का काम करती हैं |

इसलिए तो कहा गया है की, संवेदना ही मनुष्यता की एक पहचान हैं और हर एक व्यक्ति को इस को बजाए रखने की जरूरत हैं |

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