Story time plz follow me Guys
साहिल स्कूल से आते ही मम्मी का मोबाइल लेकर गेम खेलना शुरू कर देेता या सोशल साइट्स पर चैटिंग करने लगता। एक बार वह खेलने बैठता, तो घंटों तक खेलता ही रहता। उसे न होमवर्क की चिंता रहती और न ही खाने की। फुटबॉल खेलना, गिटार बजाना और मोबाइल पर गेम खेलना उसकी हॉबी थी। पर अब वह सब कुछ भूलकर सुबह से लेकर शाम तक बस मोबाइल पर ही खेलता रहता।
मम्मी-पापा दोनों के मना करने के बावजूद साहिल नहीं मानता। अपनी इस आदत की वजह से वह पढ़ाई में भी पिछड़ता जा रहा था। फिजिकल एक्टिविटी न होने से उसका वजन भी लगातार बढ़ता जा रहा था। मम्मी चाहती थीं कि साहिल खेलने के साथ-साथ पढ़ाई और अपनी हेल्थ पर भी ध्यान दे। पर साहिल उनकी कोई बात मानने को तैयार ही नहीं था। मम्मी अब उसे समझाने के लिए कोई और तरीका सोच रही थीं।
परीक्षा खत्म हो चुकी थी। इस बार छुट्टियों में मम्मी-पापा साहिल को लेकर गांव जाने की योजना बना रहे थे। दरअसल मम्मी चाहती थीं कि साहिल इस बार छुट्टियां दादाजी के साथ बिताए। उनके साथ गांव घूमे। उनसे अच्छी आदतें सीखे और जैसे वे फिट रहते हैं, वैसे ही साहिल भी रहे।
छुट्टियों में साहिल भी मम्मी-पापा के साथ जाने को तैयार हो गया। उसने सोचा, ‘वहां जाकर तो मम्मी मुझे पढ़ाई के लिए टोकेंगी नहीं। मैं मजे से पूरा दिन मोबाइल पर खेलता रहंूगा। वाह! कितना मजा आएगा।’
मम्मी ने साहिल की मोबाइल पर खेलने की लत के बारे में दादाजी को पहले ही बता दिया था। उन्होंने भी साहिल को ‘वर्चुअल वर्ल्ड’ से निकालकर वास्तविक दुनिया में लाने और पढ़ाई तथा सेहत की ओर ध्यान दिलाने की पूरी तैयारी कर रखी थी।
छुट्टी होते ही साहिल मम्मी-पापा के साथ गांव पहंुचा। वहां पहुंचते ही दादाजी ने उसे गले लगा लिया। उसे अपने कमरे में ही रखा। सोते समय सुबह जल्दी उठकर अपने साथ सैर पर चलने को कहा। साहिल ने भी उनका मन रखने के लिए हां कह दिया।
अगले दिन सुबह जब साहिल नहीं उठा, तो दादाजी ने स्वयं जाकर उसे उठाया। जैसे-तैसे वह उठा और तैयार होकर दादाजी के साथ चल पड़ा। थोड़ी देर बाद घूमते-घूमते साहिल को भी मजा आने लगा। रास्ते में दादाजी ने उसे कई पंछी दिखाए और जब उनके नाम पूछे, तो साहिल बता नहीं पाया। दादाजी ने कहा, “बेटा, मैंने तो सुना है, तुम अपनी मम्मी का स्मार्ट फोन बहुत इस्तेमाल करते हो। क्या उस पर यह सब पता नहीं चलता?”
दादाजी की बात सुनकर साहिल को शर्मिंदगी महसूस हुई। दरअसल वह दादाजी को नहीं बता पाया कि वह तो बस मोबाइल पर गेम खेलता है या दोस्तों से चैटिंग करता है।
दादाजी ने रास्ते में साहिल को कई तरह के पेड़-पौधे, खेत-खलिहान और अपने गांव की नदी भी दिखाई। हालांकि नदी में पानी ज्यादा नहीं था। साहिल को सुबह का यह नजारा बहुत अच्छा लगा।
घर लौटते ही साहिल तो बिस्तर पर लेट गया और दादाजी ने आंगन में कसरत शुरू कर दी। उन्हें देखकर साहिल की आंखें खुली की खुली रह गईं। कुछ देर बाद साहिल की मम्मी उसके लिए नाश्ता ले आईं, तब जाकर साहिल को राहत मिली।
दो दिन बाद साहिल के ममेरे भाई अमित का जन्मदिन था। दादाजी ने आसपास के सभी बच्चों को घर बुला लिया था। पार्टी के लिए दादाजी ने पूरा इंतजाम कर रखा था।
बच्चों को घर आया देख साहिल भी कमरे से बाहर आ गया और उनके साथ खेलने लगा। सब बच्चों ने खूब मस्ती की। साहिल को उनके साथ बहुत मजा आ रहा था। इस तरह की मस्ती उसने बहुत समय बाद की थी। पार्टी के बाद सब बच्चे अपने-अपने घर जाने लगे, तोे दादाजी ने सबको अगले दिन शाम को फिर आने को कहा।
दरअसल अगले दिन दादाजी ने बच्चों के लिए ‘वन मिनिट गेम’ और ‘कविता प्रतियोगिता’ रखी थी, जिसमें विजेता को पुरस्कार भी मिलने वाला था। प्रतियोगिता का निर्णय करने के लिए दादाजी ने अपने कुछ दोस्तों को भी बुलाया था।
शाम को जब बच्चे घर पर इकट्ठे हो गए, तो साहिल ने केवल ‘वन मिनिट गेम’ में हिस्सा लिया। वह सोचने लगा, ‘जब मैं तीसरी कक्षा में था, तो स्कूल में हर बार कविता प्रतियोगिता में भाग लेता था। कभी मैं खुद अपनी लिखी कविता सुनाता था, तो कभी मम्मी मुझे प्रतियोगिता की तैयारी करवाती थीं। कई बार तो मुझे पहला पुरस्कार भी मिला। पर अब अपने घर में कविता प्रतियोगिता है, तो मैं भाग नहीं ले पा रहा हूं।’
साहिल की समझ में नहीं आ रहा था कि कौन सी कविता सुनाए। जब बाकी बच्चे अपनी कविता सुना रहे थे, तब साहिल सोच रहा था, ‘जब से मैंने मोबाइल पर गेम खेलना शुरू किया है तब से ही मैंने पढ़ाई और स्कूल की एक्टिविटी पर ध्यान देना बंद कर दिया है। और तो और, अब मैं घर आकर मम्मी को बताता तक नहीं हंू कि स्कूल में कब क्या चल रहा है।’ अब साहिल ने मन ही मन तय कर लिया था कि वह मोबाइल पर इतनी ज्यादा देर तक नहीं खेलेगा।
कविता प्रतियोगिता समाप्त होने के बाद दादाजी ने तीन विजेताओं को ईनाम दिया। फिर सबने खूब डांस किया और खाना खाने के बाद अपने-अपने घर लौट गए।
कुछ दिनों बाद साहिल भी मम्मी-पापा के साथ शहर वापस आ गया। गांव से आने के बाद साहिल बदल चुका था। अब वह अपनी पढ़ाई के साथ-साथ सेहत पर भी ध्यान देने लगा था। वह रोज होमवर्क करने के बाद पार्क में घूमने जाने लगा।
एक हफ्ते बाद जब मम्मी दादाजी से फोन पर बात कर रही थीं तो उसने सुना कि मम्मी कह रही हैं, “थैंक्स पापाजी! आपका प्लान काम कर गया।”
साहिल को गांव जाने और दादाजी की पूरी योजना को समझने में देर नहीं लगी। वह कमरे से बाहर आया और मम्मी के गले लग गया। फिर बोला, “आप दुनिया की सबसे अच्छी मम्मी हो। मुझे फिर से पहले जैसा साहिल बनाने के लिए थैंक्स मम्मी।”
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Very nice story. Thanks for the story. This story is superb!
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Mark as brainliest.
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dude can u translate into English
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I know only tamil and enlish please edit question
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