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एक गाँव में भोलाराम नाम का एक किसान रहता था, जिसके पिता काफी वृद्ध हो चुके थे। एक दिन भोलाराम को उसके पिता ने अपने पास बुलाया और कहा-
भोला… मेरी मृत्यु निकट है और मुझे नहीं लगता कि अब मैं और जीवित रह सकूंगा इसलिए मैं अपने सम्पूर्ण जीवन का अनुभव केवल तीन नियमों के रूप में तुझे बताना चाहता हुं, और मुझे विश्वास है कि यदि तू केवल इन नियमों का पालन करेगा, तो अपने जीवन में कभी भी किसी भी बडी मुसीबत में नहीं पडेगा-
अपने मन की सारी बातें कभी भी अपनी पत्नी को मत बताना।कभी भी किसी कांटेदार पेड-पौधे को अपने घर के सामने मत लगाना। औरकिसी सिपाही से गहरी मित्रता मत रखना।
इतना कहकर भोलाराम के पिता के जीवन की डोर टूट गई। धीरे-धीरे समय बीता लेकिन भोलाराम को पिता की बताई गई तीनों बातों पर कभी भी पूरी तरह से विश्वास न हो सका। उसे हमेंशा लगता था कि-
अपने मन की सारी बातें पत्नी से न बताना, इसमें कहां की समझदारी है। पत्नी को तो यदि सभी बातें पता हों, तो किसी विकट परिस्थिति में वह काफी बेहतर सलाह या मदद दे सकती है। घर के सामने कांटे दार पेड-पौधे लगाने से कोई अनजान व्यक्ति जल्दी से घर में प्रवेश नहीं कर सकता, जिससे घर अधिक सुरक्षित रहता है और यदि कोई सिपाही अपना परम मित्र हो, तो कभी भी राजा से कोई खतरा नहीं हो सकता।
पिता द्वारा बताई गई तीनों बातें हमेंशा उसे परेशान करती रहती थीं इसलिए अपने मन की शान्ति के लिए वह एक साधु के पास गया व पिता द्वारा बताई गई तीनों बातें उसने साधु से कही तथा ये भी बताया कि उसे पिता द्वारा कही गई तीनों ही बातें सही नहीं लगतीं इसलिए तीनों बातों को परखना चाहता है।
भोलाराम की बात सुनकर साधु ने भोला को एक ऊपाय बताया, जिसे सुनकर भोलाराम खुशी-खुशी साधु के आश्रम से विदा हुआ और जब घर पहुंचा तो उसके हाथ में एक कपडे में लिपटा हुआ छोटे मटके जैसा कुछ था, जिसे वह जल्दी-जल्दी अन्दर ले गया और कमरा बन्द कर दिया। थोडी देर बात जब वह बाहर आया तो उसकी पत्नी पूछा- क्या लाए थे और दरवाजा बन्द करके अन्दर क्या कर रहे थे … ?
भोला ने जवाब दिया कि-
राजा हमें बहुत परेशान करता है… इस वर्ष वर्षा न होने के बावजूद राजा ने हम पर कर (Tax) लगा दिया है… राजा को हमारी कोई परवाह नहीं है… इसलिए जब मैंने राजा के पुत्र को अकेले देखा, तो मैं सहन न कर सका और मैंने राजा के पुत्र की हत्या कर दी तथा उसका सिर काट कर ले आया और दरवाजा बन्द करके मैं उसके सिर को ही खड्डा खोदकर गाड रहा था। तुम किसी से भी इस बात का जिक्र मत करना अन्यथा राजा मुझे मृत्यु दण्ड से कम सजा नहीं देगा।
भोलाराम की पत्नी असमंजस व घबराहट की स्थिति में भोला को देखती रही लेकिन कुछ कह न सकी। उसे रात भर ठीक से नींद नहीं आई। अगले दिन वह पनघट पर पानी भरने गई, तो उसकी सहेली से उसकी मुलाकात हुई। उसने बताया कि- राजा के पुत्र का किसी ने सिर काटकर उसे मार दिया और सारा राज्य उस व्यक्ति की तलाश कर रहा है, जिसने ये हरकत की है।
ये बात सुनते ही भोलाराम की पत्नी कांप गई। उसे डरा हुआ देख उसकी सहेली ने कारण पूछा तो उसने बताया कि- राजा के पुत्र को मेरे पति ने ही मारा है और उसका सिर घर में खड्डा खोदकर गाड दिया है, लेकिन ये बात किसी को बताना मत, नहीं तो राजा मेरे पति को मृत्यु दण्ड दे देगा।
भोलाराम की पत्नी की सहेली भी सहम जाती है और ‘हां‘ में सिर हिला देती है लेकिन वह इस बात को सहन नहीं कर पाती और घर पहुंचने से पहले ही अपने साथ आने वाली अपनी पडोसन को बता देती है। इस तरह से ये बात धीरे-धीरे करते हुए राजा तक पहुंच जाती है। परिणामस्वरूप राजा के सैनिक भोलाराम को पकडने करने के लिए भोला के घर पहुंचते हैं।
कहाँ है तेरा पति… जिसने राजा के पुत्र को मौत के घाट उतार कर उसका सिर अपने घर में गाड दिया है। बाहर बुला… उसे राजा के समक्ष पेश करने का हुक्म है।
भोलाराम को पकडने आने वाला ये सैनिक वही था, जिसे भोला अपना परम मित्र कहा करता था। उसकी बातें सुन भोलाराम की पत्नी सकपका जाती है क्योंकि उसे उम्मीद नहीं होती कि भोलाराम के बचपन का मित्र, जो कि अक्सर भोलाराम से मिलने उसके घर आया करता था, उससे इस तरह से बात करेगा। तभी भोलाराम दरवाजे पर आता है जिसे देखते ही वह सैनिक कहता है- भोला… तुम पर आरोप है कि तुमने राजा के पुत्र की हत्या की है और राजा के आदेश के अनुसार मैं तुम्हें इस आरोप में गिरफ्तार करने आया हुं। तुम्हें हमारे साथ चलना होगा।
उसकी बात सुनकर भोला बोला- मित्र… तुम मुझे राजा के पास ले जाने आए हो… मैं तुम्हारा परम मित्र हूं… हम दोनों साथ ही खेले-कूदे और बडे हुए हैं… क्या तुम्हें लगता है कि मैं राजा के पुत्र की हत्या कर सकता हुँ?
सैनिक न जवाब दिया- इस समय मैं तुम्हारा मित्र नहीं, बल्कि राजा का सेवक हुँ और तुम पर राजा के पुत्र की हत्या का आरोप है। इसलिए तुम्हें मेरे साथ चलना ही होगा अन्यथा मुझे तुम्हारे साथ जबरदस्ती करनी पडेगी।
और इतना कहते हुए वह सैनिक भोला को गर्दन से पकड कर खींचते हुए बाहर ले जाता है, जहां उसके सिर पर रखी पगडी उस कांटेदार पेड पर अटक कर नीचे गिर जाती है, जिसे उसने अनचाहे लोगों को घर में प्रवेश करने से रोकने हेतु लगाया था।
भोला… मेरी मृत्यु निकट है और मुझे नहीं लगता कि अब मैं और जीवित रह सकूंगा इसलिए मैं अपने सम्पूर्ण जीवन का अनुभव केवल तीन नियमों के रूप में तुझे बताना चाहता हुं, और मुझे विश्वास है कि यदि तू केवल इन नियमों का पालन करेगा, तो अपने जीवन में कभी भी किसी भी बडी मुसीबत में नहीं पडेगा-
अपने मन की सारी बातें कभी भी अपनी पत्नी को मत बताना।कभी भी किसी कांटेदार पेड-पौधे को अपने घर के सामने मत लगाना। औरकिसी सिपाही से गहरी मित्रता मत रखना।
इतना कहकर भोलाराम के पिता के जीवन की डोर टूट गई। धीरे-धीरे समय बीता लेकिन भोलाराम को पिता की बताई गई तीनों बातों पर कभी भी पूरी तरह से विश्वास न हो सका। उसे हमेंशा लगता था कि-
अपने मन की सारी बातें पत्नी से न बताना, इसमें कहां की समझदारी है। पत्नी को तो यदि सभी बातें पता हों, तो किसी विकट परिस्थिति में वह काफी बेहतर सलाह या मदद दे सकती है। घर के सामने कांटे दार पेड-पौधे लगाने से कोई अनजान व्यक्ति जल्दी से घर में प्रवेश नहीं कर सकता, जिससे घर अधिक सुरक्षित रहता है और यदि कोई सिपाही अपना परम मित्र हो, तो कभी भी राजा से कोई खतरा नहीं हो सकता।
पिता द्वारा बताई गई तीनों बातें हमेंशा उसे परेशान करती रहती थीं इसलिए अपने मन की शान्ति के लिए वह एक साधु के पास गया व पिता द्वारा बताई गई तीनों बातें उसने साधु से कही तथा ये भी बताया कि उसे पिता द्वारा कही गई तीनों ही बातें सही नहीं लगतीं इसलिए तीनों बातों को परखना चाहता है।
भोलाराम की बात सुनकर साधु ने भोला को एक ऊपाय बताया, जिसे सुनकर भोलाराम खुशी-खुशी साधु के आश्रम से विदा हुआ और जब घर पहुंचा तो उसके हाथ में एक कपडे में लिपटा हुआ छोटे मटके जैसा कुछ था, जिसे वह जल्दी-जल्दी अन्दर ले गया और कमरा बन्द कर दिया। थोडी देर बात जब वह बाहर आया तो उसकी पत्नी पूछा- क्या लाए थे और दरवाजा बन्द करके अन्दर क्या कर रहे थे … ?
भोला ने जवाब दिया कि-
राजा हमें बहुत परेशान करता है… इस वर्ष वर्षा न होने के बावजूद राजा ने हम पर कर (Tax) लगा दिया है… राजा को हमारी कोई परवाह नहीं है… इसलिए जब मैंने राजा के पुत्र को अकेले देखा, तो मैं सहन न कर सका और मैंने राजा के पुत्र की हत्या कर दी तथा उसका सिर काट कर ले आया और दरवाजा बन्द करके मैं उसके सिर को ही खड्डा खोदकर गाड रहा था। तुम किसी से भी इस बात का जिक्र मत करना अन्यथा राजा मुझे मृत्यु दण्ड से कम सजा नहीं देगा।
भोलाराम की पत्नी असमंजस व घबराहट की स्थिति में भोला को देखती रही लेकिन कुछ कह न सकी। उसे रात भर ठीक से नींद नहीं आई। अगले दिन वह पनघट पर पानी भरने गई, तो उसकी सहेली से उसकी मुलाकात हुई। उसने बताया कि- राजा के पुत्र का किसी ने सिर काटकर उसे मार दिया और सारा राज्य उस व्यक्ति की तलाश कर रहा है, जिसने ये हरकत की है।
ये बात सुनते ही भोलाराम की पत्नी कांप गई। उसे डरा हुआ देख उसकी सहेली ने कारण पूछा तो उसने बताया कि- राजा के पुत्र को मेरे पति ने ही मारा है और उसका सिर घर में खड्डा खोदकर गाड दिया है, लेकिन ये बात किसी को बताना मत, नहीं तो राजा मेरे पति को मृत्यु दण्ड दे देगा।
भोलाराम की पत्नी की सहेली भी सहम जाती है और ‘हां‘ में सिर हिला देती है लेकिन वह इस बात को सहन नहीं कर पाती और घर पहुंचने से पहले ही अपने साथ आने वाली अपनी पडोसन को बता देती है। इस तरह से ये बात धीरे-धीरे करते हुए राजा तक पहुंच जाती है। परिणामस्वरूप राजा के सैनिक भोलाराम को पकडने करने के लिए भोला के घर पहुंचते हैं।
कहाँ है तेरा पति… जिसने राजा के पुत्र को मौत के घाट उतार कर उसका सिर अपने घर में गाड दिया है। बाहर बुला… उसे राजा के समक्ष पेश करने का हुक्म है।
भोलाराम को पकडने आने वाला ये सैनिक वही था, जिसे भोला अपना परम मित्र कहा करता था। उसकी बातें सुन भोलाराम की पत्नी सकपका जाती है क्योंकि उसे उम्मीद नहीं होती कि भोलाराम के बचपन का मित्र, जो कि अक्सर भोलाराम से मिलने उसके घर आया करता था, उससे इस तरह से बात करेगा। तभी भोलाराम दरवाजे पर आता है जिसे देखते ही वह सैनिक कहता है- भोला… तुम पर आरोप है कि तुमने राजा के पुत्र की हत्या की है और राजा के आदेश के अनुसार मैं तुम्हें इस आरोप में गिरफ्तार करने आया हुं। तुम्हें हमारे साथ चलना होगा।
उसकी बात सुनकर भोला बोला- मित्र… तुम मुझे राजा के पास ले जाने आए हो… मैं तुम्हारा परम मित्र हूं… हम दोनों साथ ही खेले-कूदे और बडे हुए हैं… क्या तुम्हें लगता है कि मैं राजा के पुत्र की हत्या कर सकता हुँ?
सैनिक न जवाब दिया- इस समय मैं तुम्हारा मित्र नहीं, बल्कि राजा का सेवक हुँ और तुम पर राजा के पुत्र की हत्या का आरोप है। इसलिए तुम्हें मेरे साथ चलना ही होगा अन्यथा मुझे तुम्हारे साथ जबरदस्ती करनी पडेगी।
और इतना कहते हुए वह सैनिक भोला को गर्दन से पकड कर खींचते हुए बाहर ले जाता है, जहां उसके सिर पर रखी पगडी उस कांटेदार पेड पर अटक कर नीचे गिर जाती है, जिसे उसने अनचाहे लोगों को घर में प्रवेश करने से रोकने हेतु लगाया था।
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