Hindi, asked by gaurangdoshi, 9 months ago

stri Shiksha ka mahatva par anuched ​

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Answered by abhinavbsf
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Answer:-

                                            !!स्त्री शिक्षा पर अनुच्छेद !!

#प्ररत्तावना :-

मानव जाति की प्रगति का इतिहास शिक्षा के इतिहास की नींव पर लिखा गया है । अत: यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति-चाहे वह पुरुष हो अथवा स्त्री-शिक्षित हो । स्त्रियों को भी पुरुषों की भांति ही शिक्षा मिलनी चाहिए, अन्यथा सही अर्थो में न तो शांति हो सकती है और न प्रगति ही ।

स्त्री और पुरुष परिवार रूपी गाड़ी में जुते दो घोडों के समान होते हैं । यदि गाड़ी में जुता एक घोड़ा बड़ा सधा हुआ और प्रशिक्षित हो तथा दूसरा जंगल से पकड़कर बिना प्रशिक्षण के लिए जोत दिया जाये, तो ऐसी गाड़ी में सवार व्यक्तियों का जीवन भगवान के भरोसे पर ही रहेगा, क्योंकि वह कहीं भी टकरा कर नष्ट हो सकती है । परिवार की गाड़ी ऐसे बेमेल जोडों द्वारा ठीक से शांतिएपूर्वक अधिक समय तक नहीं चल सकती ।

#स्त्री शिक्षा की आवश्यकता :-

नेपोलियन से एक बार पूछा गया कि फ्रांस की प्रगति की सबसे बड़ी समस्या क्या है ? उसने उत्तर दिया, “मातृभूमि की प्रगति शिक्षित और समझदार माताओं के बिना असभव है ।” किसी देश की स्त्रियाँ यदि शिक्षित न हों, तो उस देश की लगभग आधी आबादी अज्ञान रह जायेगी ।

परिणाम यह होगा कि ऐसा देश ससार के अन्य देशो की भाँति प्रगति और उन्नति नहीं कर सकेगा । यह ठीक ही कहा गया है कि एक पुरुष को शिक्षा देने से वह अकेला शिक्षित होता है लेकिन स्त्री की शिक्षा से समूचा परिवार अज्ञान के अधेरे से निकल कर शिक्षित हो सकता है ।

#मतभेद :-

भारत में एक बड़ा मतभेद यह है कि स्त्रियों को उच्च शिक्षा प्रदान की जाये अथवा नहीं । रूढिवादी लोग यह तो मानते हैं कि रित्रयों को शिक्षा दी जाये, लेकिन वे उनकी उच्च शिक्षा का विरोध करते हैं । उनका यह विचार ठीक नहीं है । यदि कोई स्त्री मानसिक रूप से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के योग्य है, तो ऐसा कोई कारण समझ में नहीं आता कि उसे अपने मानसिक विकास का समुचित अवसर न दिया जाये ।

इसके विपरीत भारत में उदार व्यक्तियों का एक ऐसा बड़ा वर्ग भी है, जो स्त्रियों की उच्च शिक्षा का हिमायती है । ऐसी को जो उच्च शिक्षा प्राप्त करने को उत्सुक हैं, केवल प्रारभिक शिक्षा के अवसर प्रदान करने का सीधा अर्थ उनकी अवज्ञा करके समाज में उन्हें नीचा स्थान देना है ।

#स्त्री के कर्त्तव्य :-

हर स्त्री को अपने जीवन में तीन अलग-अलग ढंग की भूमिकायें निभानी पड़ती हैं। इन तीनो भूमिका में उनके भी कर्त्तव्य भिन्न-भिन्न होते हैं। यदि वह अपनी तीनों भूमिकायें सही ढंग से निभा लेती है, तभी उसे श्रेष्ठ महिला कहा जा सकता है। केवल अच्छी शिक्षा के द्वारा ही उसे यह तीनों कर्त्तव्य सही ढंग से निभाने की प्रेरणा मिल सकती है।

स्त्री की पहली भूमिका पुत्री के रूप में होती है, दूसरी भूमिका पत्नी के रूप में तथा तीसरी और अतिम भूमिका माँ के रूप में। शिक्षा के द्वारा ही उसे इन तीनों भूमिका के सही कर्त्तव्यों का ज्ञान प्राप्त हो सकता हैं। एक शिक्षित स्त्री ही अच्छी लड़की, श्रेष्ठ पत्नी और आदर्श माँ बन सकती है।

#शिक्षित पत्नी के लाभ :-

भारत में बहुत-से लोग शाम के खाली समय को क्लबों तथा सभा-समितियों में बिताते है। ऐसे व्यक्ति को अपना समय घर से बाहर क्लबों आदि में नष्ट करने की आवश्यकता महसूस नहीं होगी, जिसकी पत्नी सुशिक्षित हो वह पत्नी के साथ अपने विचारों का आदान-प्रदान करके सभी समस्या का हल आसानी से ढूंढ लेगा। उसके साथ अपना खाली समय हंसी-खुशी से बिताकर वह परिवार में शांति और सहयोग का वातावरण कायम कर सकेगा।

एक शिक्षित महिला अपने पति की अच्छी मित्र, कुशल नर्स व श्रेष्ठ सलाहकार हो सकती है। वह पति के हर काम में सक्रिय सहयोग देने में समर्थ होंगी। ऐसा करने पर उसे पति से पूरा सम्मान, आदर और प्यार मिलेगा। अशिक्षित पत्नी अपने पति के कामों में कोई योगदान नहीं कर पायेगी।

#शिक्षित मां का प्रभाव :-

बच्चों के जीवन पर घर के वातावरण का बड़ा प्रभाव पड़ता है और घर का वातावरण महिला की सूझ-बूझ पर निर्भर करता है। शिक्षित मां अपने बच्चों के विचारों को परिपक्व करके उनके चरित्र निर्माण में अहम् भूमिका निभा सकती है।

बच्चों का सही मार्ग निर्देशन करके मां उन्हें भावी जीवन में महान् व्यक्ति बनने की प्रेरणा दे सकती है।अनेक महान् व्यक्तियों को उनकी जीवन की दिशा माता द्वारा ही प्राप्त हुई है।

उपसंहार:

इस प्रकार उचित शिक्षा के द्वारा ही स्त्रियां अपने माँ-बाप पति और बच्चों को सुखी और सतुष्ट बना सकती हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि स्त्रियों को भी भरनी-भाँति शिक्षा दी जाये।

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good bye

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Answered by arnavjha0605
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Answer:

शिक्षा मनुष्य के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है।  शिक्षा,  शिक्षित बात करना,  शिक्षित विचार करना , शिक्षित संस्कृति,  ये सब एक आदमी को,  जानवरों या निरक्षरों या पथर-युग  के पुरुषों  से  अलग और ऊंचा  करता   हैं।

     इस प्रकार, शिक्षा एक निश्चित उम्र तक के सभी बच्चों को दिया जाना चाहिए।    बुनियादी न्यूनतम ज्ञान और कौशल, हर व्यक्ति को दिया जाना चाहिए।   शिक्षा के बिना, इस आधुनिक समाज में, किसी भी अच्छी नौकरी पाना   या पैसे  कमाना   संभव नहीं है।   बच्चों को किसी भी कौशल, संस्कृति, जीवन शैली, स्वास्थ्य, स्वच्छता, समाज में व्यवहार करने की तरीका,  शिष्टाचार आदि   नहीं सीख सकते हैं।

      आशिखित  बच्चे  एक अच्छे  तरीके से अन्य लोगों के साथ बातचीत नहीं कर सकते।  पड़ोसी बच्चे  निरक्षर बच्चों का मज़ाक उड़ाते हैं।   शिक्षा के बिना एक व्यक्ति अपने को हीन महसूस करता है।  अविकसित क्षेत्रों में कई लोग  अभी भी  बुरी तरह जी  रहे हैं,  उनके निरक्षरता और ज्ञान की कमी की वजह से ।    अनपढ़  लोग  अंधविश्वासी होने की संभावना है।   शिक्षा एक एक बच्चे को  एक  वयस्क बनने का काबिल बनाता है।    वह   अपने और अपने परिवार की देखभाल कर सकता  है । शिक्षा ठीक से जीवन बिताने के लिए और अच्छी तरह से खुद के आश्रितों की देखभाल करने के लिए जरूरी ज्ञान   प्रदान करता  है।

      भारत जैसे देश में,  सभी लोगों को शिक्षित करने के लिए सुविधाओं की व्यवस्था करना  आसान नहीं है।  मुख्य कारण  है  भ्रष्टाचार और भारत की विशाल जनसंख्या और  गरीबी ।     बहुत सरकारी स्कूल  बनाना ,  बच्चों को दिन के दौरान स्कूल में  खिलाना ,  गरीब लोगों के लिए और निश्चित रूप से अविकसित  वर्गों के बच्चों  के लिए हॉस्टल बनाना,  स्कूलों में छात्रों को शामिल  करने के  लिए विभिन्न योजनयें बनाना,  अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराना  हैं।

   अगर भारत आजकल आकाश/अन्तरिक्ष में उपग्रह भेज सकता है, भारतवासी अन्य देशों में जाकर बढ़िए काम करके भारत का नाम रोशन कर रहे हैं, हम दुनिया के कुछ देशों से थोडा सा आगे हैं, इन सबका कारण है शिक्षा जिसे पिछले दो तीन दशब्दियों के पहले पैदा हुए, उनके वजह से और उनकी सीखी हुई विद्या से। शिक्षा केवल पाठशाला में ही नहीं, दुनिया में सब जगह यानि घर में और दफ्तरों में सीखने को मिलता है।  क्यों कि आजकल तो नए नए विषय, तकनीक, गाडजेट तो हर दिन निकलते हैं।  उनके बारे में सीखकर जीवन में आगे बढ्ना  होता हैं हमें ।

 

     ग्रामीण लोगों को उनके गांवों के  नजदीक में जब रोजगार मिलते  हैं तो तब ,  शिक्षित सभी बच्चे अपने गावों  में जाएंगे।  अपने गाव को विकासित करेंगे।   और उनकी  शिक्षा सफल हो जाएगा।   ।    पहले लोग कहते थे कि बड़े होगाए शादी करो, नौकरी डूँढ़ों और बच्चे पैदा करो और वंश का नाम रोशन करो।  आजकल तो बोलते हैं,  शिक्षा पाओ, सीखो, दुनिया में जाओ और दुनिया को जीतो, नाम कमाओ, इज्जत कमाओ , शादी करो । अपने बच्चों को अपनेसे भी ज्यादा पढ़ाओ और वंश का नाम रोशन हो जाएगा ।

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