Stri Shiksha ke virodhi kutarkon ka khandan ka saransh batao?
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द्विवेदी जी की यह प्रमुख विशेषता रही है कि समय एवं परिस्थितियों के अनुसार वे अपने विचारों में परिवर्तन करते रहे हैं, जैसे लड़कियों की शिक्षा के प्रश्न पर उनके विचार एवं तर्क सकारात्मक थे। उनकी मान्यता थी कि लड़कियों की शिक्षा प्रारंभिक काल से ही आवश्यक थी, जिसे समय-समय पर कुछ प्रखर प्रबुद्ध् लोगों द्वारा अनुभव भी किया जाता रहा है। उनका लेख ‘स्त्राी-शिक्षा विरोधी कुतर्कों का खंडन’ एक शोधपरक लेख है। इसमें उन्होंने परंपराओं के सुधर को आवश्यक माना है, साथ ही नारी-शिक्षा की आवश्यकता पर विशेष बल दिया है। इस पाठ से उनकी प्रखर तार्किक क्षमता का भी पता चलता है।
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