stri shiksha kyu avyashak hai par nibhand
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स्त्री समाज का आधार होती है। एक समाज के निर्माण में स्त्री की मुख्य भूमिका होती है। हमारे ग्रंथों में स्त्री को संसार की जननी कहा गया है। उसे देवी की तरह पूजा जाता है व आदर दिया जाता है। धर्म ग्रंथों में स्त्री को पुरूष की सहधर्मचारिणी कहा गया है, जो उसके धर्म आदि कार्यों में उसका बराबर का सहयोग करती है। उसे पुरूषों के समान ही जीवन का मजबूत आधार स्तंभ माना गया है। इन सब बातों के बावजूद समाज में स्त्री की दशा दयनीय बनी हुई है। समाज में पुरूषों की वर्चस्वता ने उसके आस्तित्व को दबा कर रख दिया है। वह अब मात्र कहने के लिए सम्मान व आदर का प्रतीक बनकर रह गई। वह आधार स्तंभ तो बनी परंतु पुरूष की दासता स्वीकार करने के लिए। पुरुष ने उसे शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया इसका परिणाम यह निकला की उसका अस्तित्व कहीं विलिन होने लगा। एक समाज के विकास के लिए स्त्री का शिक्षित होना बहुत आवश्यक है। स्त्री जहाँ घर का निर्माण करती है, वहीं वह एक जीवन को भी उत्पन्न करती है। उसके कंधों पर अनायास ही समाज का निर्माण करने का भार आ जाता है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की यदि एक स्त्री अशिक्षित हो तो समाज की क्या दशा होगी। भारत में आरंभ से स्त्री शिक्षा पर प्रतिबंध नहीं था परन्तु बदलते वातावरण ने उसके इस अधिकार को छिन लिया। जहाँ एक स्त्री शिक्षा के अधिकार से वंचित हुई समाज में भी विभिन्न तरह की कठिनाइयाँ उत्पन्न होने लगी। स्त्री वह पहली कड़ी होती है जिससे बच्चा रूबरू होता है। वह माँ के द्वारा संसार को जानने समझने लगता है, माँ उसको जैसा संसार दिखाती है, वह संसार को वैसा ही देखने लगता है। यदि एक अशिक्षित माँ अन्य चीजों के बारे में खुद अंजान है तो वह बच्चे को कैसे सही व पूरा ज्ञान दे पाएगी। इस तरह समाज का विकास रूक जाता है, जहाँ समाज का विकास रूकता है, देश का विकास अपने-आप रूक जाता है। दूसरे स्त्री को शिक्षा देने का एक यही कारण नहीं हो सकता है, उसे स्वयं के विकास व गर्व के साथ खड़े होने के लिए शिक्षित होना आवश्यक है। अशिक्षित स्त्री अपने अधिकारों से वचिंत होती है। कोई भी उसका फ़ायदा उठा सकता है। समाज में अशिक्षित होने के कारण उसका शोषण सबसे ज्यादा होता है। यदि स्त्री शिक्षित है तो वह स्वयं को स्वाबलंबी बना लेती है, इससे वह अपने भरण पोषण के लिए किसी दूसरे पर निर्भर नहीं होती है। इस तरह व अपने ऊपर हो रहे शोषण का विरोध कर स्वयं को बचा सकती है। स्त्री का शिक्षित होना समाज, देश व उसके स्वयं के विकास के लिए अति आवश्यक है। जिस स्थान पर स्त्री शिक्षित होती है, वहाँ इतनी विषमताएँ देखने को नहीं मिलती है। हमें चाहिए की स्त्रियों को नाम का आदर व सम्मान न देकर उन्हें जीवन में सही विकास करने व जीवन स्वतंत्र रूप से जीने के अवसर प्रदान करने चाहिए। इसके लिए सबसे पहले उनकी शिक्षा का उचित प्रबंध करना चाहिए।
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