Suavsar ka mahatva nibandh in hindi
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अवसर ईश्वर की ओर से मानव को प्रदत्त दुर्लभ व अनुपम उपहार है। प्रभु जिस उद्देश्य से मनुष्य को सुअवसर प्रदान करते हैं, यदि मनुष्य उस अदृश्य सत्ता के संकेतों को समझ जाए और उसका सदुपयोग करे तो जीव व जीवन का कायाकल्प संभव है।
अवसर वह अनमोल मोती है, जिसे हड़पने के लिए विध्वंसक व सर्जक सदैव आतुर रहते हैं। यदि अवसर विध्वंसक के हाथ लगता है तो विनाश, महामारी, अराजकता, अनाचार, पीड़ा, दंश, असंतोष और पश्चाताप बनकर जीवन को पीड़ामय बनाता है, लेकिन यदि यह सर्जक के हाथ लगता है, तो आनंद, उत्साह, जिज्ञासा, संतोष, प्रेरणा, हर्ष, ज्ञान, सुख, शांति, सौहार्द, प्रेम व भाईचारे की आधार भूमि बनता है।
ईश्वर द्वारा प्रदत्त अवसर का सदुपयोग या दुरुपयोग ही हमारे भावी व्यक्तित्व के अच्छे व बुरे होने का निर्धारण करता है। ईश्वर इस धरती पर किसी भी जीव को जीवन व अवसर निर्थक नहीं प्रदान करता। वह हर जीव को श्रेष्ठ कृति के रूप में इस धरती पर अवसर का अनुपम उपहार देकर उतारता है। फिर वह चिंतन कार्य, कर्म, संगति, व्यवहार से इसको निकृष्ट अथवा उत्कृष्ट बनाता चलता है। अवसर उसे महत्व देता है जो अवसर को महत्व देता है। महान चिंतक सफोक्लीज का मत है कि 'अवसर उसकी मदद कभी नहीं करता, जो अपनी मदद नहीं करते।' विवेकशील, कर्मठ व साधक व्यक्ति के सान्निध्य का अवसर ऐतिहासिक स्वर्णिम व स्मरणीय बन जाता है, किंतु निष्क्रिय व निकृष्ट सोच वाले व्यक्ति का साथ या अवसर कलंकित व कंटकाकीर्ण हो जाता है।
अवसर का सदुपयोग कर अध्ययन व श्रम से एक व्यक्ति आइएएस परीक्षा उत्तीर्ण कर सम्मानजनक पद पा लेता है, जबकि इसका दुरुपयोग कर कोई व्यक्ति किसी का कत्ल कर स्वयं को कलंकित कर आजीवन कारावास या मृत्युदंड भी प्राप्त कर सकता है। अवसर तपी व श्रेष्ठ व्यक्ति का साथ पाकर पारसमणि बन जाता है, जबकि गुणहीन व्यक्ति का साथ पाकर कलुषित व दागी हो जाता है। अवसर सदैव बुद्धिमान के पक्ष में रहता है। अवसर उस द्रुतगामी वायुयान या रेलगाड़ी की तरह है, जिसे निश्चित समय पर उस दूरस्थ यात्र के लिए निकलना ही है। श्रम संयोजन कर जो अवसर तक पहुंचता है, उसे वह समय पर अपने निर्धारित गंतव्य पर छोड़ देता है।
धन्यवाद।।
अवसर वह अनमोल मोती है, जिसे हड़पने के लिए विध्वंसक व सर्जक सदैव आतुर रहते हैं। यदि अवसर विध्वंसक के हाथ लगता है तो विनाश, महामारी, अराजकता, अनाचार, पीड़ा, दंश, असंतोष और पश्चाताप बनकर जीवन को पीड़ामय बनाता है, लेकिन यदि यह सर्जक के हाथ लगता है, तो आनंद, उत्साह, जिज्ञासा, संतोष, प्रेरणा, हर्ष, ज्ञान, सुख, शांति, सौहार्द, प्रेम व भाईचारे की आधार भूमि बनता है।
ईश्वर द्वारा प्रदत्त अवसर का सदुपयोग या दुरुपयोग ही हमारे भावी व्यक्तित्व के अच्छे व बुरे होने का निर्धारण करता है। ईश्वर इस धरती पर किसी भी जीव को जीवन व अवसर निर्थक नहीं प्रदान करता। वह हर जीव को श्रेष्ठ कृति के रूप में इस धरती पर अवसर का अनुपम उपहार देकर उतारता है। फिर वह चिंतन कार्य, कर्म, संगति, व्यवहार से इसको निकृष्ट अथवा उत्कृष्ट बनाता चलता है। अवसर उसे महत्व देता है जो अवसर को महत्व देता है। महान चिंतक सफोक्लीज का मत है कि 'अवसर उसकी मदद कभी नहीं करता, जो अपनी मदद नहीं करते।' विवेकशील, कर्मठ व साधक व्यक्ति के सान्निध्य का अवसर ऐतिहासिक स्वर्णिम व स्मरणीय बन जाता है, किंतु निष्क्रिय व निकृष्ट सोच वाले व्यक्ति का साथ या अवसर कलंकित व कंटकाकीर्ण हो जाता है।
अवसर का सदुपयोग कर अध्ययन व श्रम से एक व्यक्ति आइएएस परीक्षा उत्तीर्ण कर सम्मानजनक पद पा लेता है, जबकि इसका दुरुपयोग कर कोई व्यक्ति किसी का कत्ल कर स्वयं को कलंकित कर आजीवन कारावास या मृत्युदंड भी प्राप्त कर सकता है। अवसर तपी व श्रेष्ठ व्यक्ति का साथ पाकर पारसमणि बन जाता है, जबकि गुणहीन व्यक्ति का साथ पाकर कलुषित व दागी हो जाता है। अवसर सदैव बुद्धिमान के पक्ष में रहता है। अवसर उस द्रुतगामी वायुयान या रेलगाड़ी की तरह है, जिसे निश्चित समय पर उस दूरस्थ यात्र के लिए निकलना ही है। श्रम संयोजन कर जो अवसर तक पहुंचता है, उसे वह समय पर अपने निर्धारित गंतव्य पर छोड़ देता है।
धन्यवाद।।
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