Sub- hindi
Ch-6 premchand ke phate jhutte
I want detailed explanation of below paragraph , pls help me..
.
मेरा जूता भी कोई अच्छा नहीं है। यों उपर से अच्छा दिखता है। अँगुली बाहर नहीं निकलती, पर अँगूठे के नीचे तला फट गया है। अँगूठा ज़मीन से घिसता है और पैनी मिट्टी पर कभी रगड़ खाकर लहूलुहान भी हो जाता है। पूरा तला गिर जाएगा, पूरा पंजा छिल जाएगा, मगर अँगुली बाहर नहीं दिखेगी। तुम्हारी अँगुली दिखती है, पर पाँव सुरक्षित है। मेरी अँगुली ढँकी है, पर पंजा नीचे घिस रहा है। तुम परदे का महत्त्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान हो रहे हैं!
Answers
Answered by
0
हरिशंकर परसाई द्वारा रचित इस लेख में लेखक ने लोगों की दिखावा करने वाली प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया है। लेखक प्रेमचन्द की एक फोटो को देख रहा है जिसमें उसने एक फटा हुआ जूता पहन रखा है। इसपर लेखक कहता है कि प्रेमचन्द दिखावे का महत्त्व नहीं जानते। आज हम सभी दिखावे पर मर मिट रहे हैं। हमारा जूता नीचे से फटा है जिससे हमें परेशानी होती है पर किसी को यह पता नहीं चलता। यहाँ पर लेखक ने खोखली मानसिकता पर कटाक्ष भी किया है। पर साथ ही उन्होंने प्रेमचन्द के चरित्र की विशेषता भी बताई है।
Similar questions
Biology,
6 months ago
Biology,
6 months ago
Biology,
6 months ago
Physics,
1 year ago
Physics,
1 year ago
Hindi,
1 year ago
Social Sciences,
1 year ago
Social Sciences,
1 year ago