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Question no 5
1 - मौखिक भाषा के लिये उच्चारण शुद्धता आवश्यक है। लिखित भाषा को सार्थक, प्रभावशाली एवं शुद्ध बनाए रखने के लिऐ शुद्ध अक्षर-विन्यास आवश्यक है अशुद्ध अक्षर-विन्यास अभिव्यक्ति अर्थ एवं भाव को ही बदल देता है। अशुद्ध वर्तनी केवल लिखित अभिव्यक्ति को ही प्रभावहीन नहीं बनाती अपितू मौखिक अभिव्यक्ति को भी प्रभावित करती है।
2- प्रणाली को लिपि कहते हैं। वर्णमाला का वर्गीकरण- वर्ण कम से आते हैं- स्वर – मूल स्वर-संयुक्त स्वर, व्यंजन- कण्ठ से लेकर ओष्ठ तक स्पर्श वर्ण, अंतस्थ, उष्म • मात्र लिपिचिन्ह और 40 से अधिक ध्वनियां। 1. हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी है।
3- वर्तनी भाषा में शब्दों को वर्णों से अभिव्यक्त करने की क्रिया को कहते हैं। वर्तनी को अंग्रेज़ी में स्पेलिंग और उर्दू में हिज्जे कहते हैं। किसी लिपि के प्रतीक-चिन्ह (वर्ण आदि) को उचित क्रम में लिखकर जब कोई शब्द निरूपित किया जाता है, वह उसकी वर्तनी कहलाती है। वर्तनी का सीधा सम्बन्ध भाषागत ध्वनियों के उच्चारण से है।
4- हिंदी में स्वरों के लिए मात्रा चिह्न निर्धारित हैं और उन्हें व्यंजनों के साथ मिलाकर लिखा जाता है, परंतु लिखते समय उचित ध्यान न देने के कारण छात्र-छात्राएँ प्रायः अशुद्ध शब्द लिखते हैं। कभी-कभी थोड़ी-सी असावधानी से लिखा गया शब्द, अर्थ का अनर्थ देने लगता है।