Suchna lekhan on coronavirus for class 7
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भारत सरकार और आपदा प्रबंधन से जुड़े सभी मंत्रालयों को चाहिए कि वो राज्यों में अपने समकक्ष विभागों से अति सक्रियता से संवाद करें. इस संवाद में सामाजिक संगठनों और नागरिक समूहों को भी शामिल किया जाए. ताकि संवाद के उनके माध्यम मज़बूत हो सकें.
इस समय कोरोना वायरस की महामारी ने पूरी दुनिया पर क़हर बरपाया हुआ है. इस महामारी के कारण न केवल सभी देशों की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था पर अचानक से बहुत बोझ बढ़ गया है. बल्कि, इस संकट ने किसी मुश्किल वक़्त पर संवाद की चुनौती भी खड़ी कर दी है. आज सूचना की खपत का सबसे बड़ा माध्यम सोशल मीडिया बन गया है. ऐसे में संकट के समय साफ और सूचना देने वाले से लेकर सूचना प्राप्त करने वाले विभिन्न समूहों के बीच सीधा संवाद, संकट से निपटने के लिए बेहद आवश्यक है. अगर सूचना स्पष्ट नहीं होगा, तो हम इस महामारी से निपटने के लिए संघर्ष ही करते रहेंगे.
11 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया था. क्योंकि उस समय तक कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज़ों की संख्या तेरह गुना बढ़ चुकी थी. उस समय तक भारत में इस वायरस से संक्रमित केवल 62 मामले सामने आए थे. जो विश्व में कुल संक्रमित लोगों का महज़ 0.05 प्रतिशत ही था. जहां एक ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं कई यूरोपीय देशों ने इस महामारी की गंभीरता को समझ लिया था और इससे निपटने के लिए आवश्यक संसाधनों का भी आकलन कर लिया था. लेकिन, उस समय तक भारत संकट के इस महासागर के किनारे बैठा रक्षात्मक रुख़ अपनाए हुए था. ऐसा लग रहा था कि भारत को इस तबाही के आने का इंतज़ार था. सवाल ये है कि क्या भारत ने इस महामारी से निपटने के लिए ज़रूरी उपाय करने में देर कर दी?