sudama k deendasha dekh kr sri Krishna ki kya mnodasha hui
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Hey. Mate yur answer
एक परम-ज्ञानी बना दीन की कहानी
द्वार,द्वारिकापति का पूछे जाए रे
हरे कृष्ण,हरे कृष्ण गुहराये रे
दिखे कोई ना गरीब सभी दिखते अमीर
धाम द्वारिका में किसी का ना चेहरा मलिन
वहाँ कौन ये दरिद्र चला आए रे,हरे कृष्ण,हरे कृष्ण गुहराये रे
द्वार खड़ा द्वारपाल देख उठते सवाल
फ़टी एड़ियाँ,वसन,देख हाल ये बेहाल
पूछे कौन हैं कहाँ से आप आए रे,हरे कृष्ण हरे कृष्ण गुहराये रे
द्वारपाल को सुनाते,पता दूर का बताते
बार-बार खुद को वे सखा श्याम का बताते
बोले द्रविड़ प्रदेश से हैं आए रे,कोई कृष्ण को संदेश पहुँचाए रे
द्वारपाल चकराए,कैसा विप्र द्वार आए
नहीं दान की ललक,सखा प्रभु का बताए
कैसा मित्र कैसे प्रभु का बताए रे,हरे कृष्ण हरे कृष्ण गुहराये रे
बोले जा के द्वारपाल,कोई आ के खड़ा द्वार
बोल सुन के लगे है जैसे है कोई बीमार
बिचलित है सखा आपका बताए रे,हरे कृष्ण,हरे कृष्ण गुहराये रे
पासा-शीश ना वसन,ना ही पाँव-पावडी
लगे भूखा है दिनों से कई,प्राण बावरी
पूछने पर नाम सुदामा बताए रे,हरे कृष्ण,हरे कृष्ण गुहराये रे
जैसे सुने सखा नाम होश खोए घनश्याम
लगे दौड़ने वे द्वार की तरफ नंगे पाँव
श्याम,सुदामा,सुदामा चिल्लाए रे,दशा देख दरबारी घबराए रे
एक द्वारिका का धीश दूजा महा था दरिद्र
फिर भी हाथ ना पसारा कभी स्वाभिमानी मित्र
देख सुदामा का हाल कृष्ण हो रहे बेहाल
बहे चारो चक्षुओं से,आँसुओं की जलधार
दौड़ श्याम-सखा गले से लगाए रे,चक्षुजल से सखा दोउ नहाए रे
कहाँ खो गए थे यार,आई क्यों ना मेरी याद
क्या बताएँ कब से तेरा कर रहा था इंतेजार
मित्र प्रेम एक दूजे पर लुटाए रे,सखा प्रेम सारे जग को दिखाए रे
सखा प्रेम सारे जग को दिखाए रे
एक परम-ज्ञानी बना दीन की कहानी
द्वार,द्वारिकापति का पूछे जाए रे
हरे कृष्ण,हरे कृष्ण गुहराये रे
दिखे कोई ना गरीब सभी दिखते अमीर
धाम द्वारिका में किसी का ना चेहरा मलिन
वहाँ कौन ये दरिद्र चला आए रे,हरे कृष्ण,हरे कृष्ण गुहराये रे
द्वार खड़ा द्वारपाल देख उठते सवाल
फ़टी एड़ियाँ,वसन,देख हाल ये बेहाल
पूछे कौन हैं कहाँ से आप आए रे,हरे कृष्ण हरे कृष्ण गुहराये रे
द्वारपाल को सुनाते,पता दूर का बताते
बार-बार खुद को वे सखा श्याम का बताते
बोले द्रविड़ प्रदेश से हैं आए रे,कोई कृष्ण को संदेश पहुँचाए रे
द्वारपाल चकराए,कैसा विप्र द्वार आए
नहीं दान की ललक,सखा प्रभु का बताए
कैसा मित्र कैसे प्रभु का बताए रे,हरे कृष्ण हरे कृष्ण गुहराये रे
बोले जा के द्वारपाल,कोई आ के खड़ा द्वार
बोल सुन के लगे है जैसे है कोई बीमार
बिचलित है सखा आपका बताए रे,हरे कृष्ण,हरे कृष्ण गुहराये रे
पासा-शीश ना वसन,ना ही पाँव-पावडी
लगे भूखा है दिनों से कई,प्राण बावरी
पूछने पर नाम सुदामा बताए रे,हरे कृष्ण,हरे कृष्ण गुहराये रे
जैसे सुने सखा नाम होश खोए घनश्याम
लगे दौड़ने वे द्वार की तरफ नंगे पाँव
श्याम,सुदामा,सुदामा चिल्लाए रे,दशा देख दरबारी घबराए रे
एक द्वारिका का धीश दूजा महा था दरिद्र
फिर भी हाथ ना पसारा कभी स्वाभिमानी मित्र
देख सुदामा का हाल कृष्ण हो रहे बेहाल
बहे चारो चक्षुओं से,आँसुओं की जलधार
दौड़ श्याम-सखा गले से लगाए रे,चक्षुजल से सखा दोउ नहाए रे
कहाँ खो गए थे यार,आई क्यों ना मेरी याद
क्या बताएँ कब से तेरा कर रहा था इंतेजार
मित्र प्रेम एक दूजे पर लुटाए रे,सखा प्रेम सारे जग को दिखाए रे
सखा प्रेम सारे जग को दिखाए रे
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