Sudas kon tha? Bh kise phool bechna chahta tha
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Shudro ki khoj
शूद्रो की खोज
यह हर कोई जानता है कि शूद्र लोग भारतीय आर्य समुदाय का चैथा वर्ण थे। किंतु बहुत कम लोगों ने यह पता करने का कष्ट किया है कि ये शूद्र थे कौन और वे चैथा वर्ण कैसे बने। इसमें कोई संदेह नहीं कि इस प्रकार का अन्वेषण सर्वोच्च महत्व का है। क्योंकि यह बात जानने योग्य है कि शूद्र चैथे स्थान पर कैसे आए, इसका कारण उद्विकास था अथवा क्रांति।
पुरूष सूक्त के सभी स्त्रोत समान रूप से महत्वपूर्ण नही है और उनकी सार्थकता भी समान नही है। स्त्रोत 11 और 12 एक श्रेणी में आते है और शेष स्त्रोत अन्य श्रेणी में आते है। स्त्रोत 11 और 12 को छोड अन्य स्त्रोतों को शैक्षिक रूचि का माना जा सकता है। कोई उन पर निर्भर भी नही करता। कोई हिंदू उन्हें याद भी नही रखता। किंतु 11 और 12 स्त्रोत की बात अलग है। पहली दृष्टि में देखने पर ये स्त्रोत बस यह बताते है कि चार वर्गोअर्थात (1) ब्राम्हण अथवा पुरोहित, (2) क्षत्रिय अथवा सैनिक, (3) वैश्य अथवा व्यापारी, और (4) शूद्र अथवा दास की उत्पत्ति स्रष्टा (ब्राम्हण) के शरीर से किस प्रकार हुई। किंतु सच यह है कि इन स्त्रोतों को मात्र एक ब्रम्हांडीय परिघटना की व्याख्या के रूप में नहीं समझा जाता है।
आपस्तम्ब धर्मसूत्र में कहा गया है-
चार जातियां है- ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। इनमें, पहले उल्लिखित प्रत्येक (जाति) अपने बाद वाले जाति से जन्म के आधार पर श्रेष्ठ है।
शूद्रो और उन लोगों को छोड जिन्होनें बुरे कर्म किए है, इन सभी को (1) उपनयन (अथवा पवित्र जनेऊ पहनने का), (2) वेदों के अध्ययन का, और (3) पवित्र अग्नि प्रज्वलित करने (यज्ञ करने) का अधिकार है।
यही कथन वशिष्ठ धर्म में भी दोहराया गया है, जिसमें कहा गया है-
चार जातियां (वर्ण) है- ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र।
तीन जातियां ब्राम्हण, क्षत्रिय और वैश्य द्विज (कहलाती है)।
उनका पहला जन्म उनकी मां से होता है, दूसरा पवित्र सूत्र धारण करने (यज्ञोपवीत) से। उस (दूसरे जन्म) में मां सावित्री होती है, किंतु शिक्षक को पिता बताया जाता है।
वे शिक्षक को पिता कहते है, क्योंकि वह उन्हें वेद की शिक्षा देता है।
चारों जातियों में जन्म और संस्कार के आधार पर अंतर होता है।
वेद का यह अंश भी है, ब्राम्हण उसका मुख था, क्षत्रिय उसकी भुजाएं, वैश्य उसकी जंघाए, शूद्र उसके पैरों से जन्मा।
आगामी अंश में यह घोषित है कि शूद्र संस्कारों को प्राप्त नही करेगा।