Sukhe suman ka pura bhavarth
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महादेवी वर्मा को आधुनिक जगत की मीरा भी कहा जाता है । हिंदी में गद्य एवं पद्य दोनों ही विधाओ पर समानाधिकार रखने वाली इस प्रतिभा का अवतरण सन १९०७ में उत्तरप्रदेश के फरुखाबाद में हुआ था । उनकी ये कविता मुरझाया फूल अत्यंत मार्मिक कविता है । उन्होंने अपनी कविता में मानव जीवन की क्षण भंगुरता को अत्यधिक मार्मिक ढंग से दर्शाया है ।
अपनी इस कविता मुरझाया फूल में वो पुष्प से कहती है की सूखे सुमन अपने बाल्य काल में तुम कली के रूप में थे । उस समय हँसते खिलखिलाते हुए तुम पवन के प्रभाव से खिल गए । जब शुरुवात में पुष्प खिला तो उसपर बहोत सारे भँवरे आकर मधु के लिए मंडराने लगे । जब पुष्प खिलता है उस समय उसपर चन्द्रमा, पवन और माली का स्नेह उमड़ कर आने लगता हैं । कोई उसको हंसाता है, कोई उसको देखकर आनंदित होता है, कोई लोरियां गाकर सुलाता हैं ।
महादेवी वर्मा पुष्प से पूंछती है की जब तू उद्यान में अठखेलिया कर रहा था, तब क्या तूने इस सोचा था की तेरा अंत होगा । इस समय जब तू मुरझाया हुआ पड़ा है उद्यान में, अब कोई भ्रमर क्यों पास नही आता हे तेरे । और वो पवन जिसने तुझे आनंद दिया था उसीने आज तुझे गिरा दिया हैं । आज जब तू मुरझाया हुआ धरती पर पड़ा हुआ है, कोई तेरे लिए रोने वाला नहीं हैं ।
आगे बहोत ही गंभीर होकर वर्मा जी पुष्प को हौसला प्रदान करते हुए कहती है , पुष्प व्यथित मत हो । क्योंकि तेरी ही नहीं इस स्वार्थमय संसार में सभी की यही गति होती हैं । संसार स्वार्थ के ऊपर ही चलता हैं । जब तूने अपनी सारी खुशबु और सुंदरता जगत पर वार दी ,फिर भी संसार ने तेरी इस दशा पर दुःख ना किया तो फिर हम जैसे निसार मनुष्य के हश्र पर कौन आंसू बहाने वाला है ?
कवियत्री ने यहाँ पर पुष्प के जीवन का वर्णन करते हुए कलात्मक रूप से मनुष्य जीवन की निःसारता और संसार के स्वार्थमय होने का सटीक वर्णन किया है । कवियत्री कहती है की मनुष्य को ये समझना चाहिए की जीवन क्षणभंगुर है व उसी अनुसार संसार में आचरण करना चाहिए ।
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सूखे सुमन में कवि की रचियता महादेवी वर्मा है, यह कविता सूखे सुमन यानी पुष्प को संबोधित लिखी गई है|
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सुखे सुमन का पूरा भावार्थो
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सुखे सुमन का पूरा भावार्थो
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सूखे सुमन में कवि की रचियता महादेवी वर्मा है, यह कविता सूखे सुमन यानी पुष्प को संबोधित लिखी गई है| अवस्था में पुष्प बहुत ही सुंदर होती है, पवन अपने अंग में खिलाता है, जब पुष्प पूर्णता खिल जाता है तब भवर भंडराने लगते है| फूल के माध्यम से कवि लोगों को यह कहना चाहता है जब तक कोई व्यक्ति दूसरे के काम का होता है दूसरे के लिए काम करता है जब तक कोई व्यक्ति दूसरे के प्रति है अच्छा होता है, तब तक लोग उसके प्रति अच्छा व्यवहार रखते है, परंतु जब कोई व्यक्ति किसी के लिए कुछ भी करने में असमर्थ हो जाता है तब कोई भी उसके बारे में नहीं सोचता है ना ही उस व्यक्ति के काम आता है|
पुष्प के सुख कर धरती पर गिर जाने से सब का व्यवहार फूल के प्रति बदल जाता है, उसे शेषव अवस्था में जो पवन से अपने खोक में खिलाती है, वह पवन उसे सूखने पर उसे अपने तीव्र हवा के झोंके से भूमि पर गिरा देता है, जो भ्रवर मधु ब के लिए उनके इर्द गिर्द मंडराते है, और रात उसे लोरी गाकर सोने पर विवश करने वाला, भवर भी उसके पास नहीं आता है और ना ही चंद्रमा अपनी किरने उस पर निछावर करता है, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि भगवान लोगों को स्वार्थमन बनाया है जो केवल तब तक काम जब तक उनके दूसरे उनके काम आता|
फूल की दशा देखकर हमें यह सांत्वना मिलती है कि जब तक फूल के पास सब कुछ था, भ्रवर, पवन, चन्द्रमा और माली उसकी इर्द गिर्द रहते थे, पर जब वह सूख गया उसका साथ छोड़ कर चले गए, उसी तरह हर एक मनुष्य दुसरो के प्रति अच्छा व्यवहार रखता है दूसरे के काम आता है तब तक लोग उसका साथ देते हैं पर जब वह किसी की सहायता करने में असमर्थ हो जाता है लोगों से दूर जाने लगती है|
कविता के माध्यम से हमें कवित्री हमें यह बताना चाहती है कि जैसे फूल जब तक शेशव अवस्था में होता है सभी उसके चाहने वाले होते हैं परंतु जब पुष्प शुष्क अवस्था में पहुंच जाता है तब उसे सभी चाहने वाले उससे दूर चले जाते हैं, मनुष्य का जीवन भी उसे उसके तरह होता है जब तक वह सभी के प्रति अच्छा रहता है दूसरे के काम आते हैं लोग उससे प्रेम करते हैं पर जब वह किसी भी काम करने में असमर्थ हो जाता है उसमें जाने वाले उसे दूर चले जाते हैं|
#SPJ2