Hindi, asked by wwwadithyasunilalr, 1 year ago

Sumithranandh pant's poem मोह summary

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Answered by shivasai4
6
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wwwadithyasunilalr: Its not what I am looking for buy Thank you.
wwwadithyasunilalr: I ask for the poem MOH
wwwadithyasunilalr: Ok
Answered by jitekumar4201
0

मोह summary

दो पीढ़ियों का समयांतर नई पीढ़ी के विचारों में भी अंतर ला देता है जो बदलते परिवेश के अनुसार स्वाभाविक भी है लेकिन माँ-पिता का मन यह अंतर आसानी से स्वीकार नहीं कर पाता और जब अचानक विपरीत परिस्थितियों से सामना होता है तो मोह भंग होने लगता है

छोड़ द्रुमों की मृदु-छाया,

तोड़ प्रकृति से भी माया,

बाले! तेरे बाल-जाल में कैसे उलझा दूँ लोचन?

भूल अभी से इस जग को!

तज कर तरल-तरंगों को,

इन्द्र-धनुष के रंगों को,

तेरे भ्रू-भंगों से कैसे बिंधवा दूँ निज मृग-सा मन?

भूल अभी से इस जग को!

कोयल का वह कोमल-बोल,

मधुकर की वीणा अनमोल,

कह, तब तेरे ही प्रिय-स्वर से कैसे भर लूँ सजनि! श्रवन?

भूल अभी से इस जग को!

ऊषा-सस्मित किसलय-दल,

सुधा रश्मि से उतरा जल,

ना, अधरामृत ही के मद में कैसे बहला दूँ जीवन?

भूल अभी से इस जग को!

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