Hindi, asked by Anonymous, 5 months ago

sumitranandan pant ke baare me bataye.....

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Answered by priyasaini43
2

Answer:

20 मई 1900 को उत्तराखंड के कौसानी अलमोड़ा में जन्मे सुमित्रानंदन पंत ने

बचपन से ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। सात साल की उम्र में स्कूल

में काव्य पाठ के लिए पुरस्कृत हुए। 1915 में स्थायी रूप से साहित्य सृजन शुरू

किया और छायावाद के प्रमुख स्तंभ के रूप में जाने गए।

पंत जी की आरंभिक कविताओं में प्रकृति प्रेम और रहस्यवाद झलकता है।

इसके बाद वे मावर्स और महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित हुए। इनकी बाद

की कविताओं में अरविंद दर्शन का प्रभाव स्पष्ट नजर आता है।

जीविका के क्षेत्र में पंत जी उदयशंकर संस्कृति केंद्र से जुड़े। आकाशवाणी

के परामर्शदाता रहे। लोकायतन सांस्कृतिक संस्था की स्थापना की। 1961 में भारत

सरकार ने इन्हें पद्मभूषण सम्मान से अलंकृत किया। हिंदी के पहले ज्ञानपीठ

पुरस्कार विजेता हुए।

पंत जी को कला और बूढ़ा चाँद कविता संग्रह पर 1960 में साहित्य

अकादेमी पुरस्कार, 1969 में चिदंबरा संग्रह पर ज्ञानपीठ पुरस्कार सहित अनेक

पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उनका निधन 28 दिसंबर 1977 को हुआ।

इनकी अन्य प्रमुख कृतियाँ हैं-वीणा, पल्लव, युगवाणी, ग्राम्या, स्वर्णकिरण

और लोकायतन।

Answered by ankushsaini23
2

Answer:

20 मई 1900 को उत्तराखंड के कौसानी अलमोड़ा में जन्मे सुमित्रानंदन पंत ने बचपन से ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। सात साल की उम्र में स्कूल में काव्य पाठ के लिए पुरस्कृत हुए। 1915 में स्थायी रूप से साहित्य सृजन शुरू किया और छायावाद के प्रमुख स्तंभ के रूप में जाने गए।

पंत जी की आरंभिक कविताओं में प्रकृति प्रेम और रहस्यवाद झलकता है। इसके बाद वे मार्क्स और महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित हुए। इनकी बाद की कविताओं में अरविंद दर्शन का प्रभाव स्पष्ट नजर आता है।

जीविका के क्षेत्र में पंत जी उदयशंकर संस्कृति केंद्र से जुड़े। आकाशवाणी के परामर्शदाता रहे। लोकायतन सांस्कृतिक संस्था की स्थापना की। 1961 में भारत सरकार ने इन्हें पद्मभूषण सम्मान से अलंकृत किया। हिंदी के पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता हुए।

पंत जी को कला और बूढ़ा चाँद कविता संग्रह पर 1960 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार, 1969 में चिदंबरा संग्रह पर ज्ञानपीठ पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उनका निधन 28 दिसंबर 1977 को हुआ। इनकी अन्य प्रमुख कृतियाँ हैं-वीणा, पल्लव, युगवाणी, ग्राम्या, स्वर्णकिरण और लोकायतना |

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