Summary for poem prabho
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जयशंकर प्रसाद जी अपनी कविता 'प्रभो' में कहते हैं कि शुद्ध चाँद की किरणें आपकी रोशनी के बारे में बता रहीं हैं और आपकी चिरकालीन माया जगत को आपकी महिमा दिखा रही है। यदि आपकी दया की विशालता को देखना हो तो व्यक्ति को सागर की विशालता को देखना चाहिए। लहरें आपकी प्रशंसा में सुंदर राग गा रहीं हैं।
जिसे आपकी मुस्कान को देखना हो वह चन्द्रिका को देखे, ऐसा महसूस होता है कि आपकी खुशी की धुन में नदियाँ आवाज़ कर रही हैं। जिसे मंदिर की दीपमाला देखनी हो वह तारों की अनूठी ज्योति को देखे जो किसी दीपमाला से कम नहीं है।
कवि कहते हैं कि हे प्रभु आप प्रेम से पूर्ण प्रकाश हैं, इस सुंदर प्रकृति को बनाने वाले और इस विशाल उपवन के रखवाले हैं। धरती हर समय दिखा रही है कि आप दयानिधान हैं और अगर आपकी दया हो जाये तो सब मनोरथ पूर्ण हो सकते हैं। सब इस बात की पुष्टि कर रहे हैं। धरती आशा दिला रही है।