Hindi, asked by malikanshul6980, 1 year ago

Summary of agneepath in hindi

Answers

Answered by Anonymous
8

हरिवंशराय बच्चन का जीवन परिचय- Harivansh Rai Bachchan Ki Jivani :

हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवम्बर 1907 को इलाहाबाद से सटे प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव बाबूपट्टी में हुआ था। इनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव तथा माता का नाम सरस्वती देवी था। इनको बाल्यकाल में इनके माता पिता ‘बच्चन’ जिसका शाब्दिक अर्थ ‘बच्चा’ या ‘संतान’ होता है, कह कर पुकारते थे। बाद में ये इसी नाम से मशहूर हुए। इन्होंने कायस्थ पाठशाला में पहले उर्दू की शिक्षा ली, जो उस समय कानून की डिग्री के लिए पहला कदम माना जाता था। उन्होने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम. ए. और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू बी यीट्स की कविताओं पर शोध कर पीएच. डी. पूरी की।

हरिवंश राय बच्चन अनेक वर्षों तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग में प्राध्यापक रहे। कुछ समय के लिए हरिवंश राय बच्चन आकाशवाणी के साहित्यिक कार्यक्रमों से जुड़े रहे। फिर 1955 ई. में वह विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ होकर दिल्ली चले गये।

उन्होंने साहस और सत्यता के साथ सीधी-सादी भाषा शैली में अपनी कविताएं लिखीं। इनकी रचनाओं में व्यक्ति-वेदना, राष्ट्र-चेतना और जीवन-दर्शन के स्वर मिलते हैं। अपनी कविताओं में उन्होंने राजनैतिक जीवन के ढोंग, सामाजिक असमानता और कुरीतियों पर व्यंग्य किया है।

उनकी कृति “दो चट्टानें” को 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसी वर्ष उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार तथा एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। बिड़ला फाउण्डेशन ने उनकी आत्मकथा के लिये उन्हें सरस्वती सम्मान दिया। हरिवंश राय बच्चन को भारत सरकार द्वारा 1976 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

अग्निपथ कविता का सार- Agneepath Poem Meaning in Hindi :

हरिवंश राय बच्चन की कविता अग्निपथ में कवि ने हमें यह संदेश दिया है कि जीवन संघर्ष का ही नाम है। और उन्होंने यह कहा है कि इस संघर्ष से घबराकर कभी थमना नहीं चाहिए, बल्कि कर्मठतापूर्वक आगे बढ़ते रहना चाहिए। कवि के अनुसार, हमें अपने जीवन में आने वाले संघर्षों का खुद ही सामना करना चाहिए। चाहे जितनी भी कठिनाइयाँ आएं, हमें किसी से मदद नहीं माँगनी चाहिए। अगर हम किसी से मदद ले लेंगे, तो हम कमजोर पड़ जायेंगे और हम जीवन-रूपी संघर्ष को जीत नहीं पाएंगे। खुद के परिश्रम से सफलता प्राप्त करना ही इस कविता का प्रमुख लक्ष्य है।

Similar questions