Hindi, asked by ashok9588, 1 year ago

Summary of anath ladki by premchand in hindi

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Answered by bhatiamona
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अनाथ लड़की  कहानी मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई|  

कहानी में रोहिणी नाम की लड़की के जीवन का वर्णन किया गया है|  

रोहिणी एक अनाथ लड़की होती है| वह उसकी माँ कपड़े सिल कर करके अपने परिवार का निर्वाह करती है|  

एक दिन सेठ पुरुषोत्तमदास पूना की सरस्वती पाठशाला का मुआयना करने के बाद बाहर निकले तो एक लड़की ने दौड़कर उनका दामन पकड़ लिया। रोहिणी उन्हें अपने पिता कहने लगी और कहती मुझे अपने साथ ले चलो और अपनी बेटी बना लो | सेठ ने कहा तुम पहले अच्छे खुब मन लगाकर पढ़ाई करनी होगी | सेठ ने रोहिणी को गाड़ी में बिठाया और कहा घर छोड़ देता हूँ | रोहिणी को बहुत सारे खिलौने लेकर दिए | रोहिणी बहुत खुश से पागल थी| बहुत समय के बाद रोहिणी के जीवन में खुशियाँ आई थी|

नरोत्तमदास सेठ पुरुषोत्तमदास के पुत्र थे | नरोत्तमदास कई साल तक अमेरिका और जर्मनी की युनिवर्सिटियों की खाक छानने के बाद इंजीनियरिंग विभाग में कमाल हासिल करके वापस आए थे। अमेरिका के सबसे प्रतिष्ठित कालेज में उन्होंने सम्मान का पद प्राप्त किया था। अमेरिका के अखबार एक हिन्दोस्तानी नौजवान की इस शानदार कामयाबी पर चकित थे।

रोहिणी की पढ़ाई पूरी हो गई थी | अब उसकी उम्र शादी की हो गई थी | सेठ पुरुषोत्तमदास ने अपने पुत्र की शादी रोहिणी से करवा दी और अपनी घर की बहु बना लिया | रोहिणी उनके पास आयी और उनके पैरो से लिपट गयी। सेठ जी ने उसे उठाकर गले से लगा लिया और हँसकर बोले—क्यों, अब तो तुम मेरी अपनी बेटी बन गई हो |

कहानी हमें संदेश देती है , कि हमें अच्छे काम करने चाहिए |

Answered by JustinSeagull23
4

Answer:

कहानी में रोहिणी नाम की लड़की के जीवन का वर्णन किया गया है।

कहानी में रोहिणी नाम की लड़की के जीवन का वर्णन रोहिणी एक अनाथ लड़की होती है। वह उसकी माँ कपड़े सिल कर करके अपने परिवार का निर्वाह करती है।

एक दिन सेठ पुरुषोत्तमदास पूना की सरस्वती पाठशाला का मुआयना करने के बाद बाहर निकले तो एक लड़की ने दौड़कर उनका दामन पकड़ लिया। रोहिणी उन्हें अपने पिता कहने लगी और कहती मुझे अपने साथ ले चलो और अपनी बेटी बना लो । सेठ ने कहा तुम पहले अच्छे खुब मन लगाकर पढ़ाई करनी होगी। सेठ ने रोहिणी को गाड़ी में बिठाया और कहा घर छोड़ देता हूँ। रोहिणी को बहुत सारे खिलौने लेकर दिए। रोहिणी बहुत खुश से पागल थी। बहुत समय के बाद रोहिणी के जीवन में खुशियाँ आई थी।

नरोत्तमदास सेठ पुरुषोत्तमदास के पुत्र थे। नरोत्तमदास कई साल तक अमेरिका और जर्मनी की युनिवर्सिटियों की खाक छानने के बाद इंजीनियरिंग विभाग में कमाल हासिल करके वापस आए थे। अमेरिका के सबसे प्रतिष्ठित कालेज में उन्होंने सम्मान का पद प्राप्त किया था। अमेरिका के अखबार एक हिन्दोस्तानी नौजवान की इस शानदार कामयाबी पर चकित थे।

रोहिणी की पढ़ाई पूरी हो गई थी। अब उसकी उम्र शादी की हो गई थी। सेठ पुरुषोत्तमदास ने अपने पुत्र की शादी रोहिणी से करवा दी और अपनी घर की बहु बना लिया। रोहिणी उनके पास आयी और उनके पैरो से लिपट गयी। सेठ जी ने उसे उठाकर गले से लगा लिया और हँसकर बोले- क्यों, अब तो तुम मेरी अपनी बेटी बन गई हो

कहानी हमें संदेश देती है, कि हमें अच्छे काम करने चाहिए।

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