Summary of andhkaar by sudarshan
In 'Hindi' language in '300' words. {Please write accordingly Its important}
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जीवन परिचय बिंदु Sudarshan biography in hindi
पूरा नाम बद्रीनाथ भट्ट
जन्म 1885
जन्म स्थान सियालकोट
पहचान हिंदी लेखक
मृत्यु –
यादगार कृतियाँ ‘हार की जीत’, ‘सच का सौदा’, ‘साईकिल की सवारी’, ‘पत्थरों का सौदागर’ आदि.
सुदर्शन का जीवन परिचय, जीवनी, बायोग्राफी
सुदर्शन का नाम प्रेमचंद युग के सशक्त कथाकार के रूप में माना जाता हैं. सुदर्शन की पहली कहानी हार की जीत 1920 में प्रकाशित हुई. इनकी यह पहली कहानी ही श्रेष्ठतम रचनाओं में मानी जाती हैं. सर्वप्रथम कथाकार सुदर्शन ने उर्दू में लिखना आरम्भ किया, इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली. अधिक लोकप्रियता इन्हें हिंदी कहानी लेखन में ही मिली.
ये सुदर्शन उपनाम से कहानी लेखन करने वाले कहानीकार का वास्तविक नाम बद्रीनाथ भट्ट था. इनका जन्म सियालकोट पंजाब में हुआ था. उस समय भारत का पंजाब प्रान्त अविभाजित था, सुदर्शन ने कहानी के क्षेत्र में प्रेमचंद का अनुसरण किया और प्रसिद्धि के चरम पर पहुंचे.
कहानी संग्रह
सुदर्शन मानवीय भावों को कुशलता से चित्रित करने में सिद्धहस्त थे. इनकी कहानियाँ सहजता और सरलता से परिपूर्ण होती थी, इनके प्रमुख कहानी संग्रह इस प्रकार हैं.
सुदर्शन सुधा
पुष्पलता
पनघट
गल्पमंजरी
सुदर्शन सुमन
तीर्थयात्रा
प्रमोद
सुप्रभात
नगीने
कथावस्तु व संवाद
इनकी कहानियों की कथावस्तु रोचक प्रभावशाली और पाठक के अंतर्मन को स्पर्श करने वाली होती थी. इनकी कहानियों के शीर्षक कहानी के प्रारम्भ से अंत तक पाठक की जिज्ञासा बनाये रखने वाले थे. कहानी में समाज और राष्ट्र के प्रति मंगल कामना ही इनकी कहानियों का मूल कथ्य होता था.
सुदर्शन की कहानियों का विकास पात्रों के संवाद से होता हैं और संवादों के माध्यम से ही पात्रों के चरित्र स्वरूप उभरकर सामने आ जाता हैं. संवादों से ही कहानियों की घटनाओं को गति मिलती हैं. इनकी कहानियों के संवाद सरल, सहज एवं सुबोध होते हैं.
इनकी कहानियों के पात्र किसी न किसी चारित्रिक विशेषता के पूरक होते हैं. पहली कहानी हार की जीत का पात्र बाबा खदंगसिंह डाकू होते हुए भी मानवीय गुणों से युक्त एक आदर्श पात्र हैं. हिंदी साहित्य में बाबा का नाम अमर पात्र के रूप में याद किया जाता हैं. एल्बम कहानी का मुख्य पात्र सदानंद करुणा की प्रतिमूर्ति गरीबों के मसीहा के रूप में सदा याद किये जाएगे.
भाषा
सुदर्शन की कहानियों की भाषा सरल सहज एवं सुबोध हैं. पात्रों द्वारा किये गये संवादों के शब्द उनकी योग्यता के अनुरूप हैं, किन्तु जहाँ जहाँ भी पात्रों की मानसिकता दर्शानी है वहां वहां इनकी भाषा का भावात्मक रूप उभरकर सामने आता हैं. तत्सम तद्भव और देशज शब्दों के प्रयोग से भाषा के कथ्य जीवंत हैं. मुहावरों व कहावतों का प्रयोग यथास्थान सुंदर बना हैं.
इनकी कहानियों में समकालीन कहानीकारों की तरह किसी न किसी प्रकार के जीवन मूल्यों की स्थापना लक्षित होती हैं, सुदर्शन ने मानवीय व्यवहार तथा मानवों को अच्छी बुरी प्रवृत्तियों से भली भांति जाना पहचाना हैं. उसी के अनुरूप वे अपनी कहानी का स्वरूप बनाते हैं. अतः इनकी कहानियों में उद्देश्य निष्ठता और सर्वत्र प्रेरणा के स्रोत प्रवाहमान दिखाई देते हैं.