Hindi, asked by jaswanth5268, 1 year ago

summary of any five poem ramdhari singh dinkar

Answers

Answered by asif5328
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1. कलम, आज उनकी जय बोल
2. हमारे कृषक
3.भारत का यह रेशमी नगर
4. परशुराम की प्रतीक्षा
5. समर शेष है....
Answered by bhatiamona
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रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखी गई 5 कविताएँ

"वीर"  कविता

"वीर" रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखी गई एक सुन्दर कविता है। इस कविता में कवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने वर्णन किया है कि किस प्रकार विपत्ति में वीर पुरुष साहस से काम लेते हैं और कभी हिम्मत नहीं हारते। वह लगातार कोशिस करते रहते हैं। वीर बड़ी से बड़ी विपत्ति का सामना डट कर करते हैं। वह कायरों की तरह विपत्तियों से पीछे नहीं हटते। वह अपनी मंज़िल को प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर गुजरते हैं। वीर कभी भी मुश्किलों से हारते नहीं बल्कि मुश्किलों को हराते है। कवि का कहना है कि विपत्तियों का सामना करो तभी तुम उनको हरा पाओगे क्यूँकि बिन खुद जले कभी उजाला नहीं किया जा सकता।

2 स्वर्ग बना सकते है / रामधारी सिंह दिनकर की कविता|

कविता स्वर्ग बना सकते हैं मैं कवि ने इस कविता की अपने देश की तुलना स्वर्ग से की है |

हम चाहे तो धरती को स्वर्ग बना सकते है मिल गए | धरती सब की है | सब मिलकर रह सकते है |  सब बेकार की चीजों को छोड़कर हम सुख का जीवन भोग सकते है |

3  सिंहासन खाली करो कि जनता आती है / रामधारी सिंह "दिनकर"

मित्रों, दिनकर साहब ने “सिंहासन खाली करो कि जनता आती है” कविता हमारे पहले गणतंत्र दिवस के अवसर पर लिखी थी. 1974 में जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण-क्रांति में नारा दिया : “सिंहासन खाली करो कि जनता आती है.” जिसका परिणाम हम सबने देखा है. जनता में जागरूकता के लिए इसका महत्व आज तक है |

4 .मनुष्यता / रामधारी सिंह "दिनकर"

है बहुत बरसी धरित्री पर अमृत की धार;

पर नहीं अब तक सुशीतल हो सका संसार|

भोग लिप्सा आज भी लहरा रही उद्दाम;

बह रही असहाय नर कि भावना निष्काम|

लक्ष्य क्या? उद्देश्य क्या? क्या अर्थ?

यह नहीं यदि ज्ञात तो विज्ञानं का श्रम व्यर्थ|

यह मनुज, जो ज्ञान का आगार;

यह मनुज, जो सृष्टि का श्रृंगार |

छद्म इसकी कल्पना, पाखण्ड इसका ज्ञान;

यह मनुष्य, मनुष्यता का घोरतम अपमान|

5 चांद का कुर्ता / रामधारी सिंह "दिनकर"

हार कर बैठा चाँद एक दिन, माता से यह बोला,

‘‘सिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला।

सनसन चलती हवा रात भर, जाड़े से मरता हूँ,

ठिठुर-ठिठुरकर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूँ।

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