summary of bade ghar ki beti by munshi premchand in hindi
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आनंदी में , आत्मसम्मान और स्वाभिमान की भावना है वह अपने मायके की निंदा सहन नहीं कर सकती है ,यही कारण है कि उनका झगड़ा देवर से हो जाता है| एक जिम्मेदार बहु की तरह 'आनंदी ' भी घर को संभालती है ,तभी तो देवर से झगड़ा होने के बाद भी ससुरार को नहीं छोड़ती है | 'आनंदी ' उदार और बड़े दिल वाली महिला है | उन्होंने अपनी देवर की शिकायत पति से कर तो देती है लेकिन बाद में पछतावा होता है | बाद में देवर से भी क्षमा मांग कर उसे घर छोड़ने से रोक लेती है | घर का वातावरण सौहार्दपूर्ण बनाती है |
आनंदी एक बड़े घर की बेटी है जो मध्यम वर्गीय परिवार में ब्याही जाती है. पीहर में सब तरह के ऐशों आराम और सुख सुविधाओं के बीच पली आनंदी को यह पता ही नही होता कि एक माध्यम आमदनी वाले परिवार का खर्च कैसे चलता है. घर में सास नहीं है, केवल ससुर पति तथा एक देवर के होने के कारण रसोई व गृहस्थी की साड़ी जिम्मेदारियां उसी के ऊपर आ जाती हैं. किफायत ना जानने वाली आनंदी जब महीने भर का घी कुछ ही दिनों में ख़तम कर देती है तो एक दिन उसका देवर गुस्से से भड़क उठता है और दोनों में कहा सुनी हो जाती है. पति को यह बात पता चलने पर वह छोटे भाई पर बहुत नाराज़ होता है और उसे घर से निकल जाने के लिए कहता है. हालांकि देवर की शिकायत करते वक़्त आनंदी काफी गुस्से में होती है लेकिन वह यह नहीं जानती कि बात इतनी भी बढ़ सकती है. परिवार का विघटन तो वह किसी भी सूरत में चाहती ही नहीं. अतः लाख कोशिशों और मिन्नतों के बाद जैसे तैसे पति का गुस्सा शांत करने में सफल होती है और परिवार को टूटने से बचा लेती है. पूरा गाँव यही कहकार उसकी तारीफ़ करता है कि बड़े घर की बेटियाँ ऐसी ही होती हैं. बिगड़ी बात को भी सुधार देती हैं.
मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित ' बड़े घर की बेटी 'प्रसिद्ध कहानी है,जिसमे प्रेमचंद जी द्वारा संयुक्त परिवार में होने वाली समस्याएँ , कलहों , बात का बतंगड़ और आपसी समझदारी से समस्याँओ का निपटारा करने का हुनर दर्शाया गया है | इसमें प्रेमचंद जी ने पारिवारिक मनोवैज्ञानिक को बड़े ही सरलता से दर्शाया है | कहानी में बेनीमाधव सिंह गौरीपुर के जमींदार है ,उनके बड़े पुत्र श्रीकंठ की पत्नी 'आनंदी ' है |आनंदी कहानी का मुख्य पात्र है ,जो रूपवती ,गुणवती , उच्च और समृद्ध घर की बेटी है | उनका विवाह सामान्य परिवार में श्रीकंठ से हो जाता है,अपनी सूझ-बुझ से सारे सुखों भूलकर परिवार में सामंजस्य बिठा लेती है |
आनंदी में , आत्मसम्मान और स्वाभिमान की भावना है वह अपने मायके की निंदा सहन नहीं कर सकती है ,यही कारण है कि उनका झगड़ा देवर से हो जाता है| एक जिम्मेदार बहु की तरह 'आनंदी ' भी घर को संभालती है ,तभी तो देवर से झगड़ा होने के बाद भी ससुरार को नहीं छोड़ती है | 'आनंदी ' उदार और बड़े दिल वाली महिला है | उन्होंने अपनी देवर की शिकायत पति से कर तो देती है लेकिन बाद में पछतावा होता है | बाद में देवर से भी क्षमा मांग कर उसे घर छोड़ने से रोक लेती है | घर का वातावरण सौहार्दपूर्ण बनाती है |