Hindi, asked by alialfajaliali, 10 months ago

summary of ch- doodh ka daam by premchand

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Answered by tarunjoshi8383
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Answer:

बाबू महेश नाथ गांव के जमींदार एवं शिक्षित व्यक्ति थे । तीन पुत्रियों के जन्म के बाद बच्चे के जन्म के समय वह शहर से नर्स लाने की कवायद में जुटे हुए थे, परंतु यह उनके बस में नहीं था इसके लिए काफी खर्चा करना पड़ता । अंततः प्रसव हेतु गूदड (भंगी (निम्न जाती का) ) की पत्नी भूंगी को ही बुला पाते है । भूंगी अपने पति से शर्त लगाती है कि चौथी बार बेटा ही होगा, और वह जीत जाती है, बेटा होने पर वह मुंह मांगी मुराद पाती है । इधर भूंगी के भी तीन महीने का बेटा था किन्तु वह उसे भरपूर दूध नहीं पिला सकीं । वस्तुत: उसकी मालकिन के दूध नहीं उतरने के कारण उसने मालकिन के कहने पर उनके बेटे सुरेश को दूध पिलाया। इसके कारण महेश नाथ जी के घर पर उसका रुतबा भी बढ़ गया । ये एक वर्ष से ज्यादा नहीं चला क्योंकि मोटेराम शास्त्री ने भंगिन के दूध पिलाने पर आपत्ति की कि वह नीची जाति की है, अब दूध छुड़ा दिया गया। उसी वर्ष गूदड प्लेग की चपेट में आ गया । उसका बालक मंगल, दुर्बल और सदा रोगी रहने वाला , बढ़ा होने लगा । गूदड़ के जाने के बाद भूंगी अपने बेटे के साथ अकेली रहती थी। एक दिन जमींदार के घर के नाले की सफाई करते हुए उसे भीे सांप काट लेता है और उसकी मौत हो जाती है । मंगल बिल्कुल अकेला था । अछूत होने के कारण उसके साथ कोई नहीं खेलता था । ऐसे में उसका साथी टाॅमी (एक कुत्ता) बना । मंगल को पेट भरने के लिए जूठन महेशनाथजी के घर से मिल जाती थी । वह टॉमी के साथ उनके घर से कुछ ही दूरी पर एक पेड़ के नीचे रहा करता । कभी-कभी अपने घर आता-जाता, जहां उसकी पुरानी यादें जुड़ी हुई थी । एक दिन महेश नाथ जी का बेटा सुरेश ,मंगल को खेलने बुलाता है । डरते हुए ना -नुकुर के बाद मंगल हामी भरता है । उसे घोडा बनने की ताकीद की जाती है जिसे वह इंकार कर देता है । सुरेश उसे जबरन घोड़ा बनाकर उस पर सवारी करता है जिस कारण मंगल उसके बैठते ही उचक जाता है नतीजतन सुरेश गिर जाता है। इसके बाद मंगल को मालकिन के तीव्र क्रोध का सामना करना पड़ता है। अत्यंत ग्लानि और पीड़ा के साथ रोते हुए वह अपने घर जाता है और टाॅमी के साथ खूब रोता है । धीरे-धीरे शाम पड़ने लगती है, मंगल सोचता है कि शायद उसे कोई मालकिन के घर जूठन के लिए बुलायेगा । अंधेरा होने लगता है, पेट की आग जब बढ़ने लगती है तो वह स्वयं उनके घर आकर एक अंधेरे कोने में खड़े होकर महेश नाथ जी और सुरेश को भोजन खत्म करते हुए देखता है । कहार मालिक की जूठन पत्तल में डालकर जैसे ही फेंकने आता है, मंगल भूख के मारे थोड़ा सरककर आगे आकर हाथ फैला देता है । जूठन हाथ में लेकर मंगल,टाॅमी को खाना देकर खुद भी खाने लगता है और टाॅमी से कहता है, मेरी मां ने इनके लड़के को दूध पिलाया, दुनिया कहती है कि दूध का मोल कोई नहीं चुका सकता और मुझे दूध का यह दाम मिल रहा/

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