Hindi, asked by ramesh4046, 1 year ago

summary of class 9 chapter 2 kratika

Answers

Answered by dianajohn2002
2

Answer:

'मेरे संग की औरतें', में

लेखिका बताती हैं कि उनके घर में कुछ लोग अंग्रेजों का समर्थन करते थे तो कुछ लोग

भारतीय नेताओं का पक्ष लेते थे। पर बहुमति होने के बाद भी घर में किसी तरह की

संकीर्णता नहीं थी। सब लोग अपने निज विचारों को बनाये रख सकते थे।  

     लेखिका के नाना अंग्रेजों के पक्ष में थे। परन्तु उनकी नानी जिनको

लेखिका ने कभी नहीं देखा था अपने जीवन के अंतिम दिनों में प्रसिद्ध क्रांतिकारी

प्यारेलाल शर्मा से मिली थीं।  उसके उपरांत उन्होंने अपनी

पुत्री का विवाह किसी क्रांतिकारी से करने की इच्छा प्रकट करी थी। इस प्रकार

लेखिका की नानी जो जीवन भर परदे में रहीं थीं, हिम्मत करके एक अनजान व्यक्ति से

मिलीं। उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए पवित्र भावना प्रकट करी। उनके साहसी व्यक्तित्व

और स्वतंत्रता की भावना से लेखिका प्रभावित हुईं।

     लेखिका की दादी के मन में लड़का और लडकी में भेद नहीं था। उनके

परिवार में कई पीढ़ियों से किसी कन्या का जन्म नहीं हुआ था। संभव है कि इसी कारण

परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लडकी पैदा होने की मन्नत माँगी थी।  

     लेखिका की माँ नाज़ुक और सुंदर थीं। वे स्वतंत्र विचारों की महिला

थीं। ईमानदारी, निष्पक्षता और सचाई उनके गुण थे। उन्होंने अन्य माताओं के समान

अपनी बेटी को अच्छे बुरे की सीख नहीं दी और न खाना पकाकर खिलाया। वे अपना अधिकांश

समय अध्यन और संगीत को समर्पित करती थीं। वे झूठ नहीं बोलती थीं और इधर की बात उधर

नहीं करती थीं। लोग हर काम में उनकी राय लेते और उसका पालन करते थे।

     लेखिका और उनकी बहन एकांत प्रिय स्वभाव की थीं। वे जिद्दी थीं पर

सही बात के लिए जिद करती थीं। उनकी जिद के फलस्वरूप लोगों को कर्नाटक में स्कूल

खोलने की प्रेरणा मिली।

HOPE THIS HELPS U & PLS MARK ME AS BRAINLIEST IF U THINK THIS ANSWER DESERVES!!

Answered by SweetPoison7
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Answer:

'मेरे संग की औरतें', में

लेखिका बताती हैं कि उनके घर में कुछ लोग अंग्रेजों का समर्थन करते थे तो कुछ लोग

भारतीय नेताओं का पक्ष लेते थे। पर बहुमति होने के बाद भी घर में किसी तरह की

संकीर्णता नहीं थी। सब लोग अपने निज विचारों को बनाये रख सकते थे।  

     लेखिका के नाना अंग्रेजों के पक्ष में थे। परन्तु उनकी नानी जिनको

लेखिका ने कभी नहीं देखा था अपने जीवन के अंतिम दिनों में प्रसिद्ध क्रांतिकारी

प्यारेलाल शर्मा से मिली थीं।  उसके उपरांत उन्होंने अपनी

पुत्री का विवाह किसी क्रांतिकारी से करने की इच्छा प्रकट करी थी। इस प्रकार

लेखिका की नानी जो जीवन भर परदे में रहीं थीं, हिम्मत करके एक अनजान व्यक्ति से

मिलीं। उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए पवित्र भावना प्रकट करी। उनके साहसी व्यक्तित्व

और स्वतंत्रता की भावना से लेखिका प्रभावित हुईं।

     लेखिका की दादी के मन में लड़का और लडकी में भेद नहीं था। उनके

परिवार में कई पीढ़ियों से किसी कन्या का जन्म नहीं हुआ था। संभव है कि इसी कारण

परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लडकी पैदा होने की मन्नत माँगी थी।  

     लेखिका की माँ नाज़ुक और सुंदर थीं। वे स्वतंत्र विचारों की महिला

थीं। ईमानदारी, निष्पक्षता और सचाई उनके गुण थे। उन्होंने अन्य माताओं के समान

अपनी बेटी को अच्छे बुरे की सीख नहीं दी और न खाना पकाकर खिलाया। वे अपना अधिकांश

समय अध्यन और संगीत को समर्पित करती थीं। वे झूठ नहीं बोलती थीं और इधर की बात उधर

नहीं करती थीं। लोग हर काम में उनकी राय लेते और उसका पालन करते थे।

     लेखिका और उनकी बहन एकांत प्रिय स्वभाव की थीं। वे जिद्दी थीं पर

सही बात के लिए जिद करती थीं। उनकी जिद के फलस्वरूप लोगों को कर्नाटक में स्कूल

खोलने की प्रेरणा मिली।

HOPE THIS HELPS U & PLS MARK ME AS BRAINLIEST IF U THINK THIS ANSWER DESERVES!!

Thanks!!!

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