Summary of 'cycle ki savari' by sudarshan
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सुदर्शन :: :: :: साइकिल की सवारी :: कहानी भगवान ही जानता है कि जब मैं किसी को साइकिल की सवारी करते या हारमोनियम बजाते देखता हूँ तब मुझे अपने ऊपर कैसी दया आती है। ... न साइकिल चला सकते हैं, न बाजा ही बजा सकते हैं। पता नहीं, कब से यह धारणा हमारे मन में बैठ गई है कि हम सब कुछ कर सकते हैं, मगर ये दोनों काम नहीं कर सकते हैं।
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सुदर्शन :: :: :: साइकिल की सवारी :: कहानी भगवान ही जानता है कि जब मैं किसी को साइकिल की सवारी करते या हारमोनियम बजाते देखता हूँ तब मुझे अपने ऊपर कैसी दया आती है। ... न साइकिल चला सकते हैं, न बाजा ही बजा सकते हैं। पता नहीं, कब से यह धारणा हमारे मन में बैठ गई है कि हम सब कुछ कर सकते हैं, मगर ये दोनों काम नहीं कर सकते हैं।
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