Hindi, asked by muokafl9aprithacade, 1 year ago

Summary of gillu by Mahadevi Verma?

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Answered by Chirpy
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       महादेवी वर्मा जी ने 'गिल्लू' में अपनी गिलहरी के बारे में बताया है। एक दिन उनको एक गिलहरी गमले के पीछे मूर्छित अवस्था में पड़ी हुई मिली। उन्होंने उसकी देखभाल करके उसे स्वस्थ कर दिया। वह उनके साथ अनेक प्रकार से खेलती थी और उनका मन बहलाती थी। इस प्रकार वह उनके जीवन का अंग बन गयी।

      उसे बगीचे में एक झाड़ी अत्यंत प्रिय थी। दो साल बाद जब उसकी मृत्यु हुई तो लेखिका ने उसे उसी झाड़ी के पास दफना दिया। उनकी आशा है कि एक दिन गिल्लू उस बेल पर फूल बनकर खिलेगी। इसलिए अगर वे कभी भी उस बेल पर कोई फूल देखती हैं तो उन्हें गिल्लू की याद आ जाती है जो हमेशा वहाँ खेलना पसंद करती थी।          





Answered by aryaahan93
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गिल्लू महादेवी वर्मा जी की

पालतू गिलहरी की कहानी है। वह एक दिन उनके बरामदे में उन्हें मूर्छित दशा में मिला।

उन्होंने उसकी देखभाल करी और वह स्वस्थ हो गया। उन्होंने उसका नाम गिल्लू रखा।

      गिल्लू अपनी फूल की डलिया को स्वयं हिलाकर झूलता था और अपनी काँच

के मानकों जैसी आँखों से कमरे के भीतर और खिड़की के बाहर देखता समझता रहता था।

लोगों को उसकी समझदारी और कार्यकलाप पर आश्चर्य होता था।

      लेखिका का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए वह उनके पैरों तक

जाकर सर्र से परदे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता था जबतक लेखिका उसे जाकर

पकड़ नहीं लेती थी।

      भूख लगने पर वह चिक चिक करके लेखिका को सूचना देता था और काजू या

बिस्कुट को अपने पंजो से पकड़कर कुतरता था।

      लेखिका जब बाहर जाती तो गिल्लू भी खिड़की के छेद में से बाहर चला

जाता था और दिन भर गिलहरियों के झुंड का नेता बनकर डालियों पर उछलता कूदता रहता

था। शाम को ठीक चार बजे, लेखिका के घर आने के समय, खिड़की से भीतर आकर अपने झूले

में झूलने लगता था।

      लेखिका को चौंकाने के लिए वह कभी फूलदान के फूलों में छिप जाता,

कभी परदे की चुन्नट में और कभी सोनजुही की पत्तियों में।

      वह लेखिका की खाने की थाली में से बड़ी सफाई से एक एक चावल उठाकर

खाता था। उसे काजू बहुत प्रिय था। यदि उसे कई दिनों तक काजू नहीं मिलता तो वह खाने

की अन्य चीजों को लेना छोड़ देता या झूले से नीचे फेंक देता था।

      जब लेखिका अस्पताल में थी, गिल्लू प्रतिदिन उनका इंतज़ार करता था।

उसने अपना प्रिय काजू भी नहीं खाया और लेखिका जब अस्पताल से वापस आई तो उन्हें

उसके झूले में अनेक काजू पड़े हुए मिले।

      उसने लेखिका की अस्वस्थता में देखभाल करी और अपने नन्हे नन्हे पंजों से उनके बाल सहलाता था। इस प्रकार गिल्लू बहुत ही समझदार और प्रिय था।  

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