Hindi, asked by redsmoke, 1 year ago

summary of giridhar nagar written by mirabai

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Answered by mummasgirl11
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Answered by Anonymous
9

άήş-

प्रस्तुत पद में मीरा अपने प्रभु से कहती है कि हे प्रभु! तुम्हारे बिना मेरा उद्धार नहीं हो सकता क्योंकि तुम्ही ही मेरे पालनहार और रक्षक हो। मैं तो तुम्हारी दासी हूँ। मेरा जन्म-मरण तुम्हारे नाम के चारों ओर आरती की तरह घूमता रहता है। विकारों से भरे इस भवसागर में उसके नाव के पाल फट गए हैं। अत: इसे डूबने में समय नहीं लगेगा। हे प्रभु! मेरे नाव के पाल बाँध दो। यह तुम्हारी विरह विरहणि तुम्हारी राह देख रही है। तुम मुझे अपनी शरण में ले लो यह दासी मीरा तुम्हारे नाम की रट लगाए हुए हैं, तुम्हारी शरण में है। इसे बचाकर इसकी लाज रख लो।

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