Summary of hindi sparsh aatmatran
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यह कविता रबिन्द्रनाथ ठाकुर की लिखी कविता है जिसे बंगला से हिंदी में अनुवाद किया हज़ारीप्रसाद द्विवेदी जी ने |
इस कविता में कवि गुरु इश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं की वे नहीं चाहते की इश्वर सब कुछ उनके बदले कर दे |
विपदा से उन्हें बचाने को नहीं ,पर वो विपदा में डरे नहीं , दुख से भरे मन को संतावना नहीं दे पर उसे जीतने की शक्ति दे , जब कोई साथ देने वाला न हो उस समय अकेले लड़ने को मन को बल मिले , हानि उठाने पे मन में पीड़ा न रहे , उनका भार कम नहीं करे इश्वर, बस उस भार को वाहन करने की शक्ति दे इश्वर | चाहे कितने भी हों दुख का समय कभी वो संशय न करे इश्वर पे |
इस कविता में कवि गुरु इश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं की वे नहीं चाहते की इश्वर सब कुछ उनके बदले कर दे |
विपदा से उन्हें बचाने को नहीं ,पर वो विपदा में डरे नहीं , दुख से भरे मन को संतावना नहीं दे पर उसे जीतने की शक्ति दे , जब कोई साथ देने वाला न हो उस समय अकेले लड़ने को मन को बल मिले , हानि उठाने पे मन में पीड़ा न रहे , उनका भार कम नहीं करे इश्वर, बस उस भार को वाहन करने की शक्ति दे इश्वर | चाहे कितने भी हों दुख का समय कभी वो संशय न करे इश्वर पे |
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Ishaagrawal Samaritan
यह कविता रबिन्द्रनाथ ठाकुर की लिखी कविता है जिसे बंगला से हिंदी में अनुवाद किया हज़ारीप्रसाद द्विवेदी जी ने |
इस कविता में कवि गुरु इश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं की वे नहीं चाहते की इश्वर सब कुछ उनके बदले कर दे |
विपदा से उन्हें बचाने को नहीं ,पर वो विपदा में डरे नहीं , दुख से भरे मन को संतावना नहीं दे पर उसे जीतने की शक्ति दे , जब कोई साथ देने वाला न हो उस समय अकेले लड़ने को मन को बल मिले , हानि उठाने पे मन में पीड़ा न रहे , उनका भार कम नहीं करे इश्वर, बस उस भार को वाहन करने की शक्ति दे इश्वर | चाहे कितने भी हों दुख का समय कभी
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