summary of hindi story 'atmaram' by premchand
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summary of hindi story 'atmaram' by premchand
"आत्माराम" मुंशी प्रेमचंद जी की एक प्रसिद्द कहानी है | यह कहानी महादेव सोनार की है जो एक वृद्ध व्यक्ति हैं जिसने अपना पूरा जीवन छल-कपट में बिता दिया और अब अपना बचा हुआ जीवन भी व्यतीत कर रहा है |
उसके पास एक तोता था जो पिंजड़े में बंद था | वह रोज सुबह पिंजड़े के साथ तालाब की ओर कोई भजन गाते हुए जाता था | आसपास के लोग इस आवाज से परिचित थे और इस आवाज से उन्हें भोर होने का पता चल जाता था |
महादेव का बड़ा परिवार था पर कोई सुख न था | ‘सत्त गुरुदत्त शिवदत्त दाता।’ इस मंत्र को जपते ही उसके चित्त को पूर्ण शांति प्राप्त हो जाती थी।
यह कहानी हमें सीख देती है कि हम जीवन भर संसार की वस्तुओ को प्राप्त करने दौड़ में भगवान का भजन करना भूल जाते हैं | थोड़े लाभ के लिए छल कपट भी करते हैं और जब मृत्यु का समय निकट आता है तो हमें परमात्मा का स्मरण होता है |
किन्तु अब पछताने से क्या होगा |
प्रेमचंद जी ने कहानी में यथार्थ जीवन को चित्रित करते हुए लिखा है कि जब तोता पिंजड़े से बाहर आ जाता है तो महादेव उसके पीछे ऐसा दौड़ा कि आसपास के लोग अचंभित हो गए | महादेव मूर्तिमान मोह था तो वह तोता मूर्तिमान माया था, शाम हो गयी थी किन्तु मोह को माया न मिली |
उस रात महादेव जब दिनभर का भूखा प्यासा रात के अँधेरे में झपकियां ले रहा था, कुछ आहट होने पर वह उठा, दीपक की ओर गया, चोर-चोर चिल्लाने पर वे सब चोर भाग गए | महादेव को एक मोहरों से भरा कलसा मिला और वह खुश हो गया |
सत्त गुरुदत्त शिवदत्त दाता, राम के चरण में चित्त लागा। जीवन भर इस मन्त्र को वह बोलता रहता था, किन्तु इसके आध्यात्मिक अर्थ से वह अनजान था | अगले दिन सुबह जब तोता स्वयं पिंजड़े में आकर बैठ गया तो उसके रोम-रोम से परमात्मा के गुणानुवाद की ध्वनि निकलने लगी। प्रभु तुम कितने दयावान् हो ! यह तुम्हारा असीम वात्सल्य है, नहीं तो मुझ पापी, पतित प्राणी कब इस कृपा के योग्य था ! इन पवित्र भावों से उसकी आत्मा विह्वल हो गयी ! वह अनुरक्त हो कर कह उठा- ‘सत्त गुरुदत्त शिवदत्त दाता, राम के चरण में चित्त लागा।’
महादेव का ह्रदय परिवर्तित हो गया अब वो जीवन भर में सबका पुराना हिसाब चुकता करके भगवान को समर्पित होना चाहता था | पूरे गाँव भर में खबर फैलने के बाद और महीने भर के इंतजार के बाद भी जब कोई वसूली के लिए नहीं आता तो उसे ज्ञान हुआ कि संसार में कितना धर्म, कितना सद्व्यवहार है। अब उसे मालूम हुआ कि संसार बुरों के लिए बुरा है और अच्छों के लिए अच्छा।
इस कहानी से हम सीख सकते हैं कि यह जीवन भगवान की भक्ति करने के लिए है और भगवान सदैव ही हमारे लिए अच्छा करते हैं | हमें थोड़े से लाभ के लिए छल कपट का मार्ग नहीं अपनाना चाहिए |
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मुंशी प्रेमचंद के बारे में
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Answer:
Aao Atmaram Tumne kasht to bahut Diye lekin mera Jivan Safal Kar Diya Hindi mein