summary of hindi story nail cutter by uday prakash
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प्रिय छात्र कृपया मुझे बताएं कि इस कहानी के बारे में mein किस पाठ्यपुस्तक (कक्षा) se जान sakte hu ताकि आपको बेहतर तरीके से मदद मिल सके।
नेलकटर कहानी का सारांश
यह कहानी एक बीमार माँ और बेटे की है, यह उदय प्रकाश जी ने लिखी है इसमें उन्होंने एक बीमार माँ और 9 साल क बेटे क बारे मैं बताया है.
एक दिन माँ ने अपने बेटे को बुलाया, माँ ने अपनी हथेली मेरे सामने फैला दी। दाएँ हाथ की सबसे छोटी उँगली की बगलवाली ऊँगली का नाखून एक जगह से उखड़ गया था। उससे उन्हें बेचैनी होती रही होगी। मैं समझ गया की माँ क्या कहना चाहती है और मैं नेलकटर ला कर माँ की पलंग के नीचे फर्श पर बैठ गया। नेलकटर में लगी रेती से मुझे उनकी उँगली का नाखून घिस कर बराबर कर दी, माँ यही चाहती थीं। वह नेलकटर पिताजी इलाहाबाद से लाए थे, माँ की उँगलियाँ बहुत पतली हो गई थीं। उनमें रक्त नहीं था। पीली-सी त्वचा।
मैंने देखा, माँ को नाखून का हल्का-हल्का रेती से घिसा जाना बहुत अच्छा लग रहा है। उसके चेहरे पर एक सुख था, एक घंटा लगा। मैंने उनकी एक उँगली ही नहीं, सारी उँगलियों के नाखून खूब अच्छे कर दिए। माँ ने अपनी उँगलियाँ देखीं। कितने सुदंर और चिकने नाखून हो गए थे।
माँ खत्म हो गईं। मैंने फिर कभी उनके घिसे हुए नाखून नहीं देखे।
मैंने उस रात सोने से पहले अपने तकिए के नीचे वह नेलकटर रख दिया था। उसे मैंने बहुत खोजा। बल्कि आज तक। कई वर्षों बाद भी। लेकिन वह आज भी नहीं मिला। वह पता नहीं कहाँ खो गया था। हो सकता है वह किसी बहुत ही आसान-सी जगह पर रखा हुआ हो और सिर्फ मेरे भूल जाने के कारण वह मिल नहीं पा रहा हो। मैं अक्सर उसे खोजने लगता हूँ।
क्योंकि चीजें कभी खोती नहीं हैं, वे तो रहती ही हैं। अपने पूरे अस्तित्व और वजन के साथ। सिर्फ हम उनकी वह जगह भूल जाते हैं।
चीजें कभी खोती नहीं हैं, वे तो रहती ही हैं हम भूल जाते ।