summary of jamun ka ped
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जामुन का पेड़ उर्दू/हिंदी शायर और उपन्यासकार कृष्ण चन्दर द्वारा रचित व्यंग है जो सरकारी लाल फीताशाही पर एक करारी चोट है। जामुन के पेड़ के गिरने के माध्यम से लेखक ने दिखाया है कि भले ही आदमी कि जान चली जाए परन्तु सरकारी विभाग छोटे से छोटे मुद्दे को जरुरत से ज़्यादा जटिल बना देते हैं। एक बार आंधी के दौरान सेक्रेटेरिएट पर जमुम का पड़े गिर जाता है और उसके नीचे एक आदमी दब जाता है१ चपरासी इसकी सुचना सुपरिंटेंडेंट को देता है, लोग इकट्ठे हो जाते हैं और याद करते हैं कि कैसे वो जामुन तोड़ कर घर ले जाते थे और बच्चे पसंद करते थे। जब उनका ध्यान दबे हुए व्यक्ति पर जाता हैं तो पेड़ को काटने का फैसला होता हैं जिससे कि उस आदमी को निकला जा सके। परन्तु फाइलवाणिज्य विभाग, कृषि विभाग और साहित्य विभाग के बीच घूमती रहती हैं परन्तु पेड़ काटने कि इज़ाज़त नहीं मिलती. बातों के दौरान पता चलता हैं कि दबे हुए व्यक्ति एक उर्दू कवी हैं तो सारे लेखक, शायर और साहित्यकार आकर चर्चा करते हैं पर पेड़ नहीं हिल सकता। साहित्य अकादमी कि सेक्रेटरी आकर उन्हें अपनी अकादमी की सदस्यता देते हैं पर उनको पेड़ की नीचे से निकलने क़े लिए पेड़ कटवाने में असमर्थ हैं। अंत में प्रधान मंत्री से पेड़ काटने की अनुमति लायी जाती हैं परन्तु तब तक दुर्भाग्य से शायर दुनिया से कूच कर गए होते हैं।
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